आपने देखा होगा कि जब भी बोरिंग की मशीन को ऑन करते हैं तो पानी आने लग जाता है. खास बात ये है कि बोरिंग का पानी आता भी काफी तेज है. ऐसे लगता है कि जैसे किसी टैंक या कहीं खूब सारे भरे हुए पानी से पानी खींचा जा रहा हो. ये आप जानते हैं बोरिंग में पानी जमीन से निकलता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर जमीन के नीचे पानी किस तरह जमा होता है. क्या नीचे कोई तालाब है या फिर धरती के नीचे सिर्फ पानी ही पानी है, जिसकी वजह से जहां भी बोरिंग करते हैं तो पानी निकल जाता है. 


ऐसे कहा जाता है कि जमीन के नीचे काफी चट्टानें हो तो फिर जो हर रोज ग्राउंड वाटर यूज किया जा रहा है वो पृथ्वी के नीचे कहां छुपा हुआ है. तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर बोरिंग से पानी कहां से आता है और जमीन के नीचे किस तरह से पानी भरा हुआ है.


कहां जमा होता है ग्राउंड वाटर?


जमीन के अंदर जमा पानी मिट्टी, रेत, चट्टान की दरारों में और अलग अलग स्थानों में होता है. दरअसल, जमीन के अंदर कुछ खास पानी वाली खास चट्टानें होती हैं, जिन्हें Aquifers कहा जाता है. कई लोगों इन्हें हिंदी में जलभृत भी कहते हैं और यहां काफी पानी जमा होता है. ऐसा नहीं है कि जमीन के नीचे सिर्फ पानी ही है और पानी तालाब के रूप में जमा है. ये भी अलग अलग भूगोल के हिसाब से अलग अलग जगह जमा है, जैसे कई जगहों पर 100 फुट अंदर जाने पर पानी मिल जाता है तो कई जगह 500 फुट पर भी पानी नहीं है. यानी जमीन के नीचे जो पानी है, वो कुछ कुछ हिस्सों में अलग अलग जमा होता है. 


बता दें कि जमीन के नीचे 2 फीसदी से भी कम पानी है और करीब 97 फीसदी पानी जमीन के ऊपर नदी और समुंदर के रुप में है. साथ ही ये भी मतलब नहीं है कि पानी हर जगह होता है और एक्सपर्ट अलग अलग तरीकों से पता करते हैं कि कहां पानी है और उसके बाद वहां बोरिंग किया जाता है. इसके अलावा कई जोन होते हैं, जो सॉइल वाटर जोन, इंटरमीडिएट जोन उनमें अलग तरीके से पानी जमा होते हैं. 


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