जब एक मिनट में होते हैं 61 सेकेंड्स... जानिए साल में ये वाला खास मिनट कब होता है?
Leap Second: आपने लीप ईयर के बारे में तो सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं लीप सेकेंड्स भी होते हैं. इस दौरान एक मिनट में 61 सेकेंड होते हैं.
एक साल में 365 दिन होते हैं और चार साल में एक बार लीप ईयर आता है. लीप ईयर का मतलब है फरवरी में 29 दिन. यह एक तरह से पृथ्वी के घूमने की स्पीड को बैलेंस करने के लिए होता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं लीप ईयर की तरह ही एक लीप सेकेंड का भी कॉन्सेप्ट होता है. जिस तरह लीप ईयर में एक दिन के एडजस्ट किया जाता है, वैसे ही लीप सेकेंड में एक सेकेंड को एडजस्ट किया जाता है. दरअसल, यह भी पृथ्वी के घूमने की स्पीड को लेकर टाइम जोन एडजस्ट करने के लिए किया जाता है.
तो जानते हैं कि आखिर लीप सेकेंड्स क्या होता है और इसके पीछे की क्या कहानी है. साथ ही जानते हैं क्या अभी भी लीप सेकेंड्स होता है और इससे जुड़े क्या फैक्ट्स हैं.
आपको बता दें कि एक दिन पूरे फीक्स 24 घंटे का नहीं होता है, इसमें कुछ सेकेंड्स ज्यादा होते हैं. यह पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने के समय की वजह से होता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह एटॉमिक टाइम को एडजस्ट करने के लिए किया जाता है. दरअसल, कुछ सालों में समय में अंतर आ जाता है और इसके लिए कभी कभी एक सेकेंड को एडजस्ट किया जाता है. दरअसल, कुछ माइक्रो सेकेंड्स के हेर-फेर को एडजस्ट किया जाता है और कभी कभी एक सेकेंड को यूटीसी टाइम में एडजस्ट किया जाता है.
सीधे भाषा में समझें तो पृथ्वी की गति के हिसाब से यूटीसी टाइम में कुछ सेकेंड के अंतर को जब एडजस्ट किया जाता है तो उसे लीप सेकेंड कहते हैं. माना जाता है कि यह एक सेकेंड जून या दिसंबर के आखिरी में एक मिनट में जोड़ा जाता है.
हालांकि, अब इस व्यवस्था को 2035 तक हटा दिया गया है. हाल ही में दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने सरकारी प्रतिनिधियों की बैठक में इसका फैसला लिया था. इसके बाद से अब समय में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जा रहा है. वहीं, साल 2035 बाद देखा जाएगा कि इसे लेकर क्या फैसला होता है और किस तरह से इसकी व्यवस्था की जाएगी. माना जाता है कि करीब 100 साल में 1 मिनट तक का अंतर आता है.
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