मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सीएम मोहन यादव ने धार्मिक और सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर कितने तेज आवाज (डेसिबल) तक डीजे या साउंड बजाया जा सकता है. आज हम बताएंगे कि कानूनी रूप से कितना डेसिबल साउंड बजाया जा सकता है और कितने डेसिबल साउंड से मनुष्य के सुनने की क्षमता कम हो जाती है.



कितने डेसिबल साउंड पर रोक ?



सामान्य तौर पर सुनने की सीमा 0 से 180 डेसिबल तक है, जबकि 85 डेसिबल से अधिक का शोर हानिकारक माना जाता है. लेकिन अलग-अलग राज्यों और जिलों में कार्यक्रमों के अनुसार प्रशासन साउंड डेसिबल की अनुमति देता है. आमतौर पर कार्यक्रम , रोडशो के लिए प्रशासन 10 से 55 डेसिबल तक के साउंड सिस्टम की अनुमति देता है. लेकिन इसके बावजूद लोग नियमों का उल्लघंन करते है. इसके अलावा प्रशासन द्वारा रात के 12 बजे से सुबह 6 बजे तक सभी प्रकार के साउंड पर रोक है. 


ज्यादा ध्वनि मनुष्य के लिए हानिकारक



नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ. जेडी गुप्ता एक न्यूज पोर्टल से बातचीत में बताया कि 60 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि मनुष्य के लिए हानिकारक है. वहीं 70 से 80 डेसिबल ध्वनि के बीच लगातार रहने वाला व्यक्ति बहरेपन का शिकार हो सकता है. वहीं यदि कोई गर्भवती महिला लगभग चार महीने तक 120 डेसीबल ध्वनि के बीच रहे तो बच्चा बहरा पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है.


डीजे का दुष्प्रभाव



डाक्टर जेडी गुप्ता ने बताया कि 90 डेसिबल से अधिक साउंड 20 मिनट तक महीने में 20 बार भी सुनेंगे तो सुनने की क्षमता कम होती है. वहीं अगर समय पर उपचार नहीं होने पर स्थाई बीमारी हो सकती है. ज्यादा तेज आवाज की ध्वनि सुनने से मनुष्यों को चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, चक्कर आना, मितली व डिप्रेशन की दिकक्त होती है.