(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
क्या होती है बूथ कैप्चरिंग? सबसे पहले कहां हुई थी, जानिए इतिहास
Booth Capturing: चुनावों के दौरान कई तरह की घटनाएं भी देखने को मिलती है. चुनाव के दौरान आपको अक्सर एक घटना का नाम सुनने को मिला होगा. जिसे बूथ कैप्चरिंग कहते हैं. क्या होती है बूथ कैप्चरिंग?
Booth Capturing: 16 मार्च को भारत में 18वीं लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया क्या है. इस बार के लोकसभा चुनाव सात चरणों में होंगे. जिनमें पहले चरण 19 अप्रैल को शुरू होगा. तो ही सातवां और आखिरी चरण 1 जून को होगा. तो वहीं 4 जून की तारीख को इसके परिणाम घोषित किए जाएंगे.
भारत में चुनावों का समय बेहद संवेदनशील होता है. चुनावों के दौरान कई तरह की घटनाएं भी देखने को मिलती है. चुनाव के दौरान आपको अक्सर एक घटना का नाम सुनने को मिला होगा. जिसे बूथ कैप्चरिंग कहते हैं. क्या होती है बूथ कैप्चरिंग? पहली बार भारत में कब हुई. चलिए जानते हैं विस्तार से.
क्या होती है बूथ कैप्चरिंग?
बूथ कैप्चरिंग का मतलब अगर सीधे शब्दों में समझा जाए. तो समझिए की धांधली करके या गैर कानूनी रूप से फर्जी वोट डालना और सही वोटो को खराब करना होता है. भारत में पहले वोट बैलेट पेपर से डाले जाते थे. बैलट पेपर प्रत्याशियों के नाम होते थे और उनका चुनाव चिन्ह होता था. जिस पर मोहर लगाकर मतदाता अपना मतदान करते थे.
लेकिन अगर इन पर्चियां पर कोई और निशान लगा दिया जाए या उन्हें खराब कर दिया जाए तो ऐसे में वोट कैंसिल हो जाता था. बूथ कैप्चरिंग के शुरुआती मामलों में यही किया जाता था. जिससे एक पार्टी को फायदा पहुंच जाता था. लोगों को डरा धमका कर, लोगों को भगाकर और फर्जी तरीके से वोट डालना भी बूथ कैप्चरिंग माना जाता है. हालांकि अब EVM से चुनाव होने के बाद से इस प्रकार की घटनाएं भारत में नहीं हुई हैं.
बेगूसराय में हुई थी पहले बूथ कैप्चरिंग
साल था 1957 बिहार में विधानसभा चुनाव हो रहे थे. बिहार में चुनावी माहौल हमेशा से गर्म रहा है. बेगूसराय की सीट पर उस साल तगड़ी टक्कर थी. कांग्रेस की ओर से सरयुग सिंह मैदान पर थे तो वहीं कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से चंद्रशेखर सिंह जो कि सिटिंग विधायक थे. मतदान के लिए चुनाव प्रचार काफी तेजी से चल रहा था. मतदान केंद्र बेगूसराय से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित था.
बूथ पर पास के गांव के काफी लोग वोट डालने आते थे. जब लोग वह डाल रहे थे इसी दौरान 20 बंदूकधारी बदमाश आए और लोगों को हटाकर खुद फर्जी वोट डालने लगे. बताया गया कि यह गुंडे कांग्रेस के प्रत्याशी सरयुग सिंह के थे. चुनाव के रिजल्ट आने पर इस बात पर मोहर भी लग गई क्योंकि चुनाव सरयुग सिंह ने जीत लिया था. यह भारत में बूथ कैप्चरिंग का पहला मामला था.
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