प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इंडोनेशिया जा रहे हैं. इंडोनेशिया के बाली में होने वाले इस कार्यक्रम में पीएम मोदी 20 कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. इस दौरान भारत की ओर से हेल्थ, महामारी के बाद आए अर्थव्यवस्था के संकट से उबरने और ऊर्जा-खाद्य सुरक्षा को लेकर अपनी बात रखी जा सकती है. ऐसे में पीएम मोदी के इंडोनेशिया के दौरे की काफी चर्चा हो रही है. इसके साथ ही लोग ये भी जानना चाहते हैं कि आखिर जी-20 शिखर सम्मेलन क्या है, जहां पीएम मोदी जा रहे हैं और ये भारत के लिए क्यों अहम है...
क्या है जी-20?
जी-20 19 देशों के साथ एक यूरोपियन यूनियन का समूह है. इन समूह में वो देश शामिल हैं, जो अर्थव्यवस्था के मामले में दुनिया में टॉप पर हैं. अगर इन 20 देशों की बात करें तो इनमें फ्रांस, इंडोनेशिया, इटली, कोरिया, जर्मनी, इंडिया, मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, रुस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, अर्जेंटीना, तुर्की, युनाइटेड किंगडम, जापान, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन शामिल हैं. हर साल इन देशों का एक सम्मेलन या समिट होती है, जिसमें अलग अलग देशों को टॉप लीडर्स प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री आदि शामिल होते हैं. इसमें मंत्री स्तर की बैठकों में गर्वनर, मंत्री आदि हिस्सा लेते हैं.
बता दें कि इस मंच का अहम काम आर्थिक सहयोग है, जिसमें शामिल होने वाले देशों की कुल जीडीपी दुनिया भर के देशों की 80 फीसदी है. ये देश मिलकर ना सिर्फ ग्लोबल इकोनॉमी पर काम करते हैं, बल्कि आर्थिक स्थिरता और जलवायु परिवर्तन और हेल्थ से जुड़े मुद्दों पर भी बात करते हैं. अहम उद्देश्य ये है कि आर्थिक स्थिति को कंट्रोल रखना है.
विश्व पटल पर ये सम्मेलन इसलिए भी अहम है, क्योंकि दुनिया की 60 फीसदी आबादी इन 20 देशों से ही आती है. ऐसे में कहा जा सकता है कि दुनिया की शक्ति जी -20 देशों के पास ही है. हर साल अलग-अलग देश के पास इसकी मेजबानी रहती है और इसका आयोजन करने वाले देश पिछले और आगामी मेजबान के साथ मिलकर काम करता है.
भारत के लिए क्यों अहम है जी-20?
एक तो जी-20 समिट इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि शिखर सम्मेलन में दुनिया के कई देशों के शीर्ष नेता आपस में मुलाकात करते हैं. इस बार भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. इसके अलावा इस शिखर सम्मेलन में भारत को G 20 की अध्यक्षता सौंपी जाएगी और एक दिसबंर से जी-20 की अध्यक्षता भारत करेगा. दरअसल, इसमें कोई स्थायी सेक्रेटेरियट ना होने की वजह से हर देश का अपना योगदान होता है.
साथ ही भारत कई मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण रख सकता है और कई व्यापार समझौतों पर अलग अलग देशों से बात हो सकती है. इसके अलावा दुनिया के कुछ देशों में जो टेंशन चल रही है, उसमें भी भारत मध्यस्थता कर सकता है. यहां शिखर सम्मेलन से इतर मोदी कई नेताओं के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठक करेंगे, लेकिन अभी शी जिनफिंग के साथ बैठक निर्धारित नहीं हुई है.
ये भी पढ़ें- Fog Or Smog: कोहरा है या फिर प्रदूषण? ऐसे पता करें आज आपके शहर में क्या है...