देशभर में धीरे-धीरे ठंड का प्रकोप बढ़ने लगा है. सुबह शाम अब लोगों को कपकपी लगना शुरू हो गई है. ठंड से बचने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं. घर से बाहर निकलने के लिए स्वेटर-जैकेट, तो घर के अंदर कंबल का सहारा लेते हैं. सर्दियों के मौसम के दौरान आपने अक्सर ये बात गौर की होगी कि जब हम सर्दियों में काफी देर बाद ऊनी कपड़े या कंबल को उतारते हैं तो एक चट-चट की आवाज आती है या कई बार हमें चिंगारी भी दिखाई देती है. क्या आप जानते हैं आखिर ऐसा क्यों होता है? शायद बेहद कम ऐसे लोग होंगे जो इस विषय में जानते होंगे. आइए जानते हैं आखिर क्यों कंबल या ऊनी कपड़े से बिजली या चिंगारी जैसी दिखाई देती है.
जिस तरह जब दो बिजली के तार या बादल टकराते हैं तो हमें चिंगारी देखने को मिलती है ठीक ऐसा ही स्वेटर और कंबल के साथ भी होता है. इसके पीछे का साइंस तार और बादलों की तरह ही है. अमेरिकी वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रैंकलिन ने 1752 में ये बात बता दी थी कि बिजली कड़कना और कपड़ों में उत्पन्न होने वाली चिंगारी वास्तव में एक ही घटना है. लेकिन, इस पर ठोस फैक्ट्स इकट्ठा करने और उनके साकार होने में 2000 से भी ज्यादा साल लग गए.
इसलिए दिखती है चिंगारी
ठंड के मौसम में जब हम अपने शरीर से स्वेटर उतारते हैं तो हमारी त्वचा से रगड़ के कारण बाल खड़े हो जाते हैं. इसके बाद कपड़ों में 1 तरीके से चार्ज इकट्ठा हो जाता है. साथ ही स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी पैदा होती है. जब कपड़े हमारी स्किन के संपर्क में आते हैं तो इस स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी की वजह से स्वेटर निकालते समय करंट की स्थिति पैदा होती है क्योंकि कपड़े और शरीर का करंट एक तरीके से टकराता है और चिंगारी सी हमें दिखती है. इस अट्रैक्शन और रिपल्शन की वजह से हमें चट-चट की ध्वनि भी सुनाई देती है. सरल भाषा में कहें तो चिंगारी स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी की वजह से निकलती है जो गर्म कपड़ों में इकट्ठा हो जाती है. इस तरह की आवज सिंथेटिक या ऊनि कपड़ो से हो आती है.
दूसरी तरफ, जब हम सूती कपड़े पहने हुए या नंगे पैर फर्श पर हो तो यह आवाज नहीं आती. इसका कारण यह है कि घर्षण से उत्पन्न बिजली नंगे पैरों से होकर फर्श में समा जाती है. इसलिए हमें चिंगारी की आवाज नहीं आती. ठंड के मौसम में हवा सबसे अधिक सूखी होती है अतः घर्षण के कारण अधिक तीव्र वाली बिजली पैदा होती है जिसके कारण ही चट-चट की आवाज सुनाई देती है.
यह भी पढ़े: