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Kodava Community: भारत में रहने वाले ये लोग रखते हैं बिना लाइसेंस के हथियार, सरकार से मिली है खुली छूट

Kodava Community: कोडवा लोग कर्नाटक के लड़ाका समुदाय कुर्ग से ताल्लुक रखते हैं. कोडवा लोगों को ब्रिटिश काल से ही बिना लाइसेंस पिस्तौल, रिवॉल्वर और दोनाली, शॉटगन जैसे हथियार रखने की छूट दी गई है.

Kodava Community: भारत में बिना लाइसेंस के हथियार रखना कानून जुर्म है. अगर आप ऐसा करते हुए पकड़े गए तो आपको जेल हो सकती है. यहां हथियार अगर आप रखना चाहते हैं तो आपको भारत सरकार से बकायदा पूरे प्रोसीजर को फॉलो कर के हथियार का लाइसेंस लेना होगा, तब कहीं जा कर आप अपने साथ हथियार रख सकते हैं. हालांकि, इसी देश में एक समुदाय ऐसा है, जिसे हथियार रखने के लिए किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ती और ब्रिटिश काल से इन्हें बिना लाइसेंस के हथियार रखने की छूट है. आज हम आपको इसी समुदाय के बारे में बताएंगे.

लड़ाका समुदाय कुर्ग से ताल्लुक रखते हैं कोडवा

कोडवा लोग कर्नाटक के लड़ाका समुदाय कुर्ग से ताल्लुक रखते हैं. कोडवा लोगों को ब्रिटिश काल से ही बिना लाइसेंस पिस्तौल, रिवॉल्वर और दोनाली, शॉटगन जैसे हथियार रखने की छूट दी गई है. साल 2019 में केंद्र सरकार ने भी इसे ऐसे ही बहाल कर दिया. कहते हैं कि कोडवा समुदाय के लोग 'कालीपोढ' उत्सव पर अस्त्रों की पूजा करते हैं. इन्हें अपने अस्त्रों से बेहद लगाव होता है. इतिहास में इस समुदाय के लोग योद्धा हुआ करते थे. यही वजह है कि इनके पास हमेशास से हथियार रहे हैं. हालांकि, ये लोग अपने हथियार का इस्तेमाल किसी गलत काम के लिए नहीं करते. आज तक शायद ही किसी कोडवा ने अपने हथियार का प्रयोग किसी गलत काम के लिए किया हो.

क्यों मिली है इन्हें छूट

साल 2019 में केंद्र सरकार ने फैसला किया कि कोडवा लोगों को अपने हथियार के लिए लाइसेंस नहीं लेना होगा. साफ तौर पर कहें तो भारत सरकार ने ब्रिटिश राज से इन लोगों को दी गई छूट को बहाल कर दिया. बाद में इस पर कर्नाटक के हाईकोर्ट में एक पेटिशन दायर की गई और मांग की गई कि इन लोगों को भी हथियार के लिए लाइसेंस लेने को कहा जाए. लेकिन हाईकोर्ट ने इस पेटिशन को खारिज कर दिया और केंद्र सरकार द्वारा दी गई छूट को बरकरार रखा. हालांकि, अब इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर जवाब मांगा है.

लाइसेंस पर छूट को लेकर गृह मंत्रालय का तर्क 

इस पूरे प्रकरण पर मीडिया से बात करते हुए गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने उस वक्त कहा था कि कोडवा लोगों को एक सदी से अधिक समय से हथियारों को लाइसेंस में छूट मिलती रही है, क्योंकि उनके आग्नेयास्त्रों का दुरुपयोग किसी अपराध, राष्ट्र विरोधी या राज्य विरोधी गतिविधियों में आज तक नहीं हुआ है. इसके साथ ही आपको बता दें फ़ील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा और जनरल के एस. थिमैया दोनों कुर्ग समुदाय से ही थे, जिन्होंने भारतीय सेना का नेतृत्व किया था.

भारत में कितनी लाइसेंसी बंदूके हैं

एक रिपोर्ट के अनुसार इस वक्त भारत में लगभग 35 लाख से ज्यादा लाइसेंसी बंदूकें हैं. वहीं, अकेले उत्तर प्रदेश में करीब 13 लाख से ज्यादा लोगों के पास हथियार रखने का लाइसेंस है. जबकि, आतंक से प्रभावित जम्मू-कश्मीर की बात करें तो यहां 3.7 लाख लोगों के पास लाइसेंसी हथियार हैं. पंजाब में लगभग 3.6 लाख से ज्यादा लोगों के पास लाइसेंसी बंदूकें हैं.

बिना लाइसेंस बंदूक रखा तो आजिवन कारावास

भारत में अगर आप बिना लाइसेंस के बंदूक रखते हैं तो आपको नए कानून के तहत प्रतिबंधित हथियार अवैध रूप से बनाने और रखने को लेकर दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. नए कानून के तहत दो से अधिक लाइसेंसी बंदूक रखने वाले व्यक्ति को तीसरी बंदूक 90 दिनों के अंदर अधिकारियों या बंदूकों के अधिकृत डीलर के पास जरूर से जमा करानी होगी.

ये भी पढ़ें: इस देश को कहा जाता है 'दुनिया की मसाला फैक्ट्री', लैंड ऑफ स्पाइस में आपका स्वागत है

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