How CBI investigates case: कोलकाता रेप और मर्डर के केस में लगातार सीबीआई जांच की मांग उठ रही थी, जो अब सीबीआई को सौंप दी गई है. ऐसे कई मामले हैं जिसमें सीबीआई को जांच सौंपी जाती है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर किसी राज्य में सीबीआई को जांच शुरू करने से पहले किसी की इजाजत लेनी होती है या नहीं? चलिए जानते हैं.


सीबीआई जांच की परमिशन किससे लेती है?


देश में रॉ, एनआईए समेत कई जांच एजेंसियां हैं, हालांकि CBI कई मायनों में अलग है. NIA के उलट सीबीआई के पास किसी भी राज्य के मामले में खुद संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है. फिर चाहे किसी भी राज्य सरकार में घोटाले का मामला हो या बड़े अपराधिक मामले.


भ्रष्टाचार, सीबीआई को जांच के लिए दो तरह से परमिशन मिलती है या तो केंद्र सरकार की ओर से या सुप्रीम-हाई कोर्ट की ओर से. सीबीआई किसी राज्य में जाकर जांच करेगी या नहीं, आमतौर पर इसकी परमिशन देने की पावर केंद्र सरकार के पास होती है. केंद्र सरकार उस समय फैसला लेती है जब राज्य सरकार की तरफ से इसकी अनुमति मिल जाती है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट को सीबीआई जांच का आदेश देने के लिए ऐसी किसी भी रजामंदी की जरूरत नहीं होती है.


राज्य सरकार कैसे करवाती है जांच?


यदि राज्य सरकार किसी मामले में सीबीआई जांच कराना चाहती है तो उसे पहले केंद्र से इसकी सिफारिश करनी होती है. केंद्र सरकार राज्य को जवाब देने से पहले सीबीआई से चर्चा करती है. इस दौरान सीबीआई मामले की गंभीरता को देखती है और ये समझती है कि वाकई वो मामला जांच के लायक है या नहीं. इसके बाद भी केंद्र सरकार ये फैसला लेती है कि राज्य की सिफारिश को मानना है या फिर नहीं.


यदि राज्य सीबीआई जांच की अनुमति न दे तो क्या होगा?


यदि कोई राज्य सरकार सीबीआई जांच की अनुमति नहीं देती है तो जांच एजेंसी को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के आधार पर इंवेस्टिगेशन शुरू करने का अधिकार है.


सीबीआई कितने तरह के मामलों की करती है जांच?


सीबीआई भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध, विशेष अपराध, स्यू मोटो केसेज की जांच करने का अधिकार रखती है.                                                


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