Kunal Kamra Controversy: स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा का रविवार को एक वीडियो सामने आया था. इस वीडियो में वह महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे का मजाक उड़ाते, उनको गद्दार और दल बदलू कहते हुए नजर आए थे. इस वजह से उन पर अशांति फैलाते हुए मानहानि की धाराओं में केस दर्ज किया गया है. आज सुबह मुंबई के खार थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. वहीं शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने कामरा के स्टूडियो में तोड़फोड़ मचाई है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या कुणाल कामरा के ऑफिस की बिल्डिंग पर बुल्डोजर चलाने की कार्रवाई हो सकती है. चलिए इसको लेकर क्या नियम हैं वो जान लेते हैं और बुल्डोजर की कार्रवाई पहले कहां पर हो चुकी है, ये भी जानेंगे.
कहां से शुरू हुई बुल्डोजर कार्रवाई
बुल्डोजर एक्शन की बात करें तो पहले की सरकारों में अवैध कब्जों को हटाने के लिए बुल्डोर की कार्रवाई की जाती थी. लेकिन बुल्डोजर एक्शन को लोकप्रियता तब मिली जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आई. यूपी के सीएम योगी की पॉलिटिकल ब्रांड को बनाने में बुल्डोजर एक्शन ने बहुत मदद की है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट की मानें तो यूपी गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियों को रोकने के अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश में 15,000 मामले दर्ज किए गए और आरोपियों के अवैध निर्माण को ध्वस्त किया गया था. इसके बाद जब योगी सरकार दोबारा सत्ता में लौटी तो फिर से बुल्डोजर की कार्रवाई को बढ़वा मिला.
बीजेपी शासित और गैर बीजेपी राज्यों ने भी इसे अपनाया
जब यूपी में बुल्डोजर एक्शन के बाद अपराध थोड़ा सा थमता दिखा तो बीजेपी शासित राज्यों ने इसे अपनाने की प्रक्रिया शुरू की. इसके बाद एमपी, असम, राजस्थान, हरियाणा में भी बुल्डोजर चलने लगे. इसके अलावा गैर बीजेपी राज्यों में भी बुल्डोजर एक्शन देखने को मिला है. दरअसल देश के हर राज्या में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के पास बुल्डोजर चलाने का अधिकार होता है. ऐसे में अगर कोई शख्स अपराध करता है तो उसके घर के बारे में जानकारी निकाली जाती है और पता चलता है कि उसने घर बनाते हुए अतिक्रमण किया है, तो उसका घर तोड़ने से पहले म्युनियिपल कॉर्पोरेशन एक कानूनी नोटिस देगा इसकी समय सीमा 15 दिन से 1 महीना हो सकती है.
बुल्डोजर चलाने की सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स
हालांकि कई मामलों में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की तरफ से कोई नोटिस नहीं दिया गया है और घर पर बुल्डोजर चला दिया जाता है. जब इस तरीके के मामले बढ़ने लगे तो सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला सुनाना पड़ा और आरोपियों/दोषियों के घरों को जमींदोज करने को लेकर टिप्पणी करनी पड़ी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर साफ तौर से कहा कि जमींदोज करने में किसी भी तरह का मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अगर अधिकारियों ने मनमानें तरीके से कार्रवाई की तो उसकी भरपाई ऑफिसर को करनी पड़ेगी, क्योंकि बिना सुनवाई किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने बुल्डोजर कार्रवाई पर पूरी तरह से ब्रेक नहीं लगाया है, लेकिन कुछ गाइडलाइन्स जारी की है. चलिए उनके बारे में जानें-
- सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सिर्फ आरोपी या दोषी होने पर किसी का घर नहीं गिराया जा सकता है.
- यह भी देखना होगा कि मामला सुलझाने लायक है या नहीं.
- बुल्डोजर एक्शन से पहले नोटिस देना होगा.
- इसके अलावा व्यक्तिगत सुनवाई का वक्त देना पड़ेगा.
- प्रशासन को यह भी बताना होगा कि आखिर बुल्डोजर की कार्रवाई क्यों जरूरी है.
- संरचना गिराने की प्रक्रिया भी बतानी पड़ेगी.
- गाइडलाइन तोड़ने पर ऑफिसर के खिलाफ कार्रवाई होगी.
किन मामलों में लागू नहीं होंगी गाइडलाइन्स
इसके अलावा कोर्ट ने यह भी साफ तौर पर कहा था कि ये नियम उन मामलों मे लागू नहीं होते हैं जहां पर गली, फुटपाथ, सड़क, रेलवे लाइन से सटे या किसी नदी, जल निकाय जैसे सार्वजनिक स्थानों पर अवैध निर्माण है. यह वहां भी लागू नहीं होगा जहां पर न्यायालय ने ध्वस्तीकरण के आदेश दिए हैं.