लक्षद्वीप को पहले इन नामों से जाना जाता था, जानिए कब मिला इसे अपना आधिकारिक नाम
पीएम नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद से लगातार सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप की चर्चा हो रही है. लेकिन क्या आपको पता है कि लक्षद्वीप का नाम लक्षद्वीप कब पड़ा और पहले इसका नाम क्या था ?
पीएम नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा और मालदीव के नेताओं द्वारा अपमानजनक बयान देने के बाद से लगातार सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप की चर्चा हो रही है. लेकिन इस विवाद से इतर आज हम आपको लक्ष्यद्वीप के बारे में कुछ रोचक तथ्य बताने वाले हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि लक्ष्यद्वीप का पुराना नाम क्या था.
कब पड़ा लक्षद्वीप नाम
लक्षद्वीप भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद से भारत में कुल 8 केंद्रशासित प्रदेश है, जिसमें से लक्षद्वीप भी है. जानकारी के लिए बता दें कि साल 1956 में लक्षद्वीप को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था. पहले इसे लक्कादीव, मिनिकॉय, अमीनदीवी के नाम से जाना जाता था. लेकिन साल 1971 में इस क्षेत्र का नाम लक्षद्वीप पड़ा था. 2011 की जनगणना के मुताबिक लक्षद्वीप की कुल जनसंख्या 64473 है. हालांकि यहां की साक्षरता दर 91.82 फीसदी है, जो भारत के कई बड़े शहरों से ज्यादा है.
लक्षद्वीप का इतिहास
आजादी के समय 1947 में भी लक्षद्वीप में मुस्लिम आबादी ज्यादा थी. उस वक्त पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने सोचा कि लक्षद्वीप में मुस्लिम आबादी है और भारत ने इस पर दावा नहीं किया है, इसलिए ये लोग पाकिस्तान में आ जाएंगे. लेकिन सरदार पटेल ने आरकोट रामास्वामी मुदालियर और आरकोट लक्ष्मणस्वामी मुदालियर को लक्षद्वीप के विलय की जिम्मेदारी दी थी. जब पाकिस्तानी सेना समुंद्र के रास्ते लक्षद्वीप की तरफ जा रही थी, उस वक्त सरदार पटेल ने दोनों मुदालियर भाईयों को भारतीय तिरंगा फहराने के लिए कहा था. पाकिस्तानी युद्धपोत पहुंचने से पहले ही भारतीय सेना लक्षद्वीप पहुंचकर झंडा फहरा दिया था. जिस कारण पाकिस्तानियों को वापस जाना पड़ा था. इतिहासकार बताते हैं कि अगर आधे घंटे की भी देरी होती तो मामला उल्टा हो सकता था.
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