चंद्रयान-3 की लैंडिंग पर इस समय पूरी दुनिया की नजर है. अगर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हो गई तो भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा जो चांद के उस हिस्से की खोज करेगा जहां आज तक कोई नहीं पहुंच पाया. इसके साथ ही चंद्रयान-3 वहां जिन जिन चीजों की खोज करेगा, वो पूरी दुनिया के लिए एक नजीर बन जाएंगी. इन्हीं में से एक चीज है पानी, चांद पर जिसकी मौजूदगी के सुबूत तो मिले हैं लेकिन पक्के तौर पर अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है. अब अगर कल की लैंडिंग के बाद अगर चंद्रयान-3 ने इसकी पुष्टि कर दी तो दुनिया की तमाम स्पेस एजेंसियों के साथ साथ नासा भी भारते के इसरो का लोहा मानने लगेगी.


साउथ पोल का इतना महत्व क्यों है?


चंद्रयान-3 कल यानी 23 अगस्त को शाम के 6 बजे चांद की सतह पर लैंड करेगा. लैंडिंग प्रक्रिया को पूरी होने में लगभग 15 से 20 मिनट का समय लग सकता है. पूरी दुनिया की नजर इस पर है. हालांकि, इससे भी बड़ी बात है भारत के चंद्रयान-3 का चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करना. ऐसा इसलिए क्योंकि इस हिस्से के बारे में दुनिया को कुछ नहीं पता, किसी भी देश का कोई भी रोवर आज तक चांद के इस हिस्से तक नहीं पहुंचा है. रूस और अमेरिका जैसे देश बहुत समय से यहां तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन अब तक कोई यहां तक पहुंच नहीं सका है. 


चांद के दक्षिणी ध्रुव पर है क्या?


अब आते हैं इस सवाल पर कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ऐसा क्या है कि पूरी दुनिया की नजर इसकी वजह से चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर है. दरअसल, वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद का दक्षिणी ध्रुव बिल्कुल पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव अंटार्कटिका जैसा है. यानी वो इलाका बिल्कुल ठंडा है. वहीं अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑर्बिटरों से जो परीक्षण किए गए उसके आधार पर ये कहा जाता है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भारी मात्रा में बर्फ है. जाहिर सी बात है कि अगर वहां बर्फ के सुबूत मिले तो पानी भी मिल सकता है. और अगर ऐसा हुआ तो जीवन की संभावना भी बन सकती है. इसलिए चांद के इस हिस्से का महत्व पूरी दुनिया के लिए बहुत ज्यादा है.


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