Law For Divorce In Pakistan: शादी जहां दो लोगों का मिलन होती है, वहीं तलाक (Divorce) दो व्यक्तियों के बीच अलगाव होने पर उन्हें अलग करने का काम करता है. कई बार वैचारिक मतभेद, आपसी मनमुटाव या फिर रोज-रोज के झगड़े इतने बढ़ जाते हैं कि बात तलाक पर आ पहुंचती है. ऐसा जरूरी नहीं कि हर बार झगड़ों की वजह से ही तलाक लिए जाते हैं. कई बार इसके पीछे करियर, अलग जीवनशैली वगैरह भी कारण हो सकता है. इस तरह के मामलों में आपसी सहमति से तलाक लिया जाता है.


भारत की मशहूर टेनिस प्लेयर सानिया मिर्जा ने पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से शादी की थी.अब खबरें आ रही है कि इनका तलाक होने जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में महिलाओं के तलाक की मांग उठाने के मामले बढ़े हैं. ऐसे में जानते हैं कि पाकिस्तान में अगर कोई महिला अपने पति से तलाक लेना चाहे तो उसके लिए क्या पाकिस्तान में क्या नियम हैं.


पाकिस्तान में बढ़ रहे तलाक के मामले


पाकिस्तान के समाज में वैसे तो तलाक को सामाजिक तौर पर गलत माना जाता है. इसके बावजूद भी देश में ज्यादातर महिलाएं अपने पति की इच्छा के विपरीत तलाक की मांग करती हैं. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि आज के समय में इस्लामी राष्ट्र के पितृसत्तात्मक समाज में महिलाएं अब सशक्त होती जा रही हैं. अब वे वैवाहिक संबंध में अपना अपमान सहन नहीं कर पा रही हैं. इसीलिए अब वहां तलाक के मामले भी बढ़ रहे हैं. तलाक लेने के लिए पाकिस्तानी महिलाएं इस्लामी कानून की एक धारा का इस्तेमाल कर रही हैं जो उन्हें पति की सहमति के बिना ही तलाक लेने की अनुमति देती है.


खुला के तहत के सकती हैं महिलाएं तलाक


पाकिस्तान में तलाक के मामलों की देखरेख करने के लिए कोई विशेष संस्था नहीं है. पाकिस्तान में तलाक के मामलों पर कार्यवाही शरिया या इस्लामी कानूनों के तहत होती है. यहां कोई महिला तलाक के लिए आवेदन नहीं कर सकती है. हालांकि अगर किसी महिला को अपने पति की सहमति के बिना तलाक चाहिए तो वह शरिया के नियमों के तहत ऐसा कर सकती है. वहां इसे खुला कहते हैं और पारिवारिक न्यायालय में इसकी सुनवाई होती है. खुला इस्लाम धर्म में तलाक की ही एक प्रक्रिया होती है, इसके जरिए कोई महिला अपने पति से तलाक ले सकती है.


ऐसी कई वजहें हैं जिनके आधार पर पत्नी खुला के तहत अपने पति से तलाक की मांग कर सकती हैं. इनमें पति का उसके साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार, पति का पत्नी को छोड़कर कहीं चला जाना या पति की मानसिक स्थिति ठीक न होना जैसे कारण मामले शामिल हैं.


क्या कहते हैं आंकड़े


हालांकि, पाकिस्तान में पति से तलाक चाहने वाली महिलाओं के आंकड़े को आधिकारिक तौर पर दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन इसकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. गैलप और गिलानी पाकिस्तान के 2019 में किए गए सर्वे के अनुसार, 58 प्रतिशत पाकिस्तानी यह मानते हैं कि देश में तलाक के मामले बढ़ रहे हैं.


पाकिस्तानी महिलाएं चाहती है खुलकर जीना


लाहौर में स्थित मानवाधिकार से जुड़े गैर-लाभकारी संगठन मानवाधिकार संरक्षण केंद्र की वकील अतिका हसन रजा ने मीडिया रिपोर्ट्स में बताया कि पाकिस्तान में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं ‘खुला' के तहत तलाक की मांग कर रही हैं. पाकिस्तान में औपचारिक तलाक के मामलों की ज्यादातर पहल पति कर सकता है. यहां तलाक के लिए पति की सहमति अनिवार्य होती है, लेकिन खुला के तहत तलाक लेने पर पति की सहमति जरूरी नहीं होती है.


रजा ने बताया कि देश में नए पारिवारिक न्यायालय स्थापित किए जा रहे हैं. इन न्यायालयों में पारिवारिक कानून, खुला और संरक्षण के मामलों की ही सुनवाई हुआ करेगी. उन्होंने कहा कि महिलाओं को अब इस बात का ज्ञान है कि वे अब शारीरिक शोषण के अलावा अन्य वजहों को आधार बनाकर भी तलाक ले सकती हैं. इन वजहों में मानसिक शोषण या शादी से कुछ भी नहीं मिलना भी शामिल है. उनका कहना है कि पाकिस्तान में अब महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में जानती हैं और पहले से अधिक स्वतंत्र हैं.


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