अगर आपकी जमीन में कोई दबा खजाना मिल जाए तो उस पर अधिकार किसका होगा?
अगर जमीन के मालिक को लगता है कि जमीन के अंदर का धन उसका है और उसके परिवार से ताल्लुक रखता है तो वह इसके लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है.
आप खबरों में अक्सर पढ़ते होंगे कि कहीं खुदाई के दौरान किसी की जमीन में दफ्न खजाना मिला, तो कहीं खेत जोतते किसान को खेत में गड़ा खजाना मिल गया. अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर किसी व्यक्ति को अपनी जमीन में गड़ा खजाना मिल जाए तो क्या उस पर उसका अधिकार होगा या फिर सरकार का. चलिए आपको आज इसी सवाल का जवाब विस्तार से देते हैं.
खजाना मिलने पर क्या करना चाहिए?
पहले जानिए खजाना मिलने पर कानून क्या करना चाहिए. इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीनियर वकील रवि रत्न कुमार सिन्हा से जब हमने इस पर बात की तो उन्होंने बताया कि अगर किसी को जमीन के अंदर कोई गड़ा खजाना मिलता है तो वह इसकी सूचना सबसे पहले अपने नजदीकी थाने को दे. अगर व्यक्ति इसकी सूचना पुलिस और प्रशासन को नहीं देता है तो भविष्य में वह कई तरह के कानूनी पचड़े में फंस सकता है.
सूचना देने के बाद क्या होता है?
सूचना देने के बाद प्रशासन खजाने को अपने कब्जे में ले लेती है और फिर उसकी एक डिटेल रिपोर्ट बना कर सरकार को भेज देती है. इस प्रक्रिया के बाद खजाने को सुरक्षित रूप से ट्रेजरी में जमा करा दिया जाता है. इसके बाद सरकार निर्णय लेती है कि ट्रेजरी से खजाना कहां जाएगा. दरअसल, कई बार इस तरह के खजाने को उन संस्थाओं के पास भेज दिया जाता है जो इन मामलों में रिसर्च करती हैं. जैसे भारत में ऐसी संस्था आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया है.
जमीन के मालिक को क्या मिलता है?
एडवोकेट रवि रत्न कुमार सिन्हा कहते हैं कि ऐसे मामलों में दफीना एक्ट के तहत कार्यवाही होती है और दफीना एक्ट में साफ लिखा है कि अगर जमीन के अंदर से किसी को धन या खजाना मिलता है तो उस पर सरकार का अधिकार है. हालांकि, जमीन के मालिक को लगता है कि जमीन के अंदर का धन उसका है और उसके परिवार से ताल्लुक रखता है तो वह इसके लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है.
क्या सरकार कुछ नहीं देती?
इस पर एडवोकेट सिन्हा कहते हैं कि कई बार जब जमीन का मालिक प्रशासन को खजाने के बारे में सही जानकारी देता है और सब कुछ सच-सच बता देता है तो सरकार खुश होकर खजाने की कुल कीमत का 10 से 20 प्रतिशत जमीन के मालिक को इनाम के तौर पर दे देती है. हालांकि, ये तय नहीं है कि सरकार को ये देना ही देना है. ऐसा करना और ना करना पूरी तरह से सरकार की मर्जी पर निर्भर करता है.
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