हल्दी में पाया गया सीसा, जानें हर साल इससे कितने लाख लोगों की होती है मौत
पटना, कराची और पेशावर से लिए हल्दी के नमूनों में सीसे का स्तर 1,000 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम से ज्यादा पाया गया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन सैम्पल्स में लेड का स्तर तय मानकों से 200 गुणा अधिक था.
भारत में सदियों से हल्दी का उपयोग होता आ रहा है. कई लोग उसे सेहत से जोड़कर देखते हैं, जैसे कोई बीमार हो तो हल्दी वाला दूध, किसी को चोट लग गई हो तो उसे उस जगह पर हल्दी लगा दी जाती है. साथ ही खाने का स्वाद तो ये बढ़ाती है. वहीं यदि हम आपको ये कहें कि हल्दी लाखों लोगों की मौत का कारण भी बन रही है तो आप क्या कहेंगे? जी हां, हाल ही में हुई रिसर्च में चौंकाने वाला डेटा सामने आया है. भारत और अमेरिका के शोधकर्ताओं द्वारा किए अध्ययन के मुताबिक, भारत के कुछ हिस्सों से लिए हल्दी के नमूनों में सीसे (लेड) की मात्रा तय मानकों से 200 गुणा ज्यादा थी. इस रिसर्च के अनुसार, न सिर्फ भारत बल्कि नेपाल और पाकिस्तान में बेची जा रही हल्दी में भी सीसे की मात्रा तय मानकों से कई गुणा ज्यादा पाई गई है. गौरतलब है कि हल्दी एक ऐसा मसाला है जिसका भारत में करीब-करीब हर दिन सेवन किया जाता है. ऐसे में हल्दी में मौजूद सीसे की मात्रा ही कई लोगों की जान की दुश्मन भी बनी हुई है.
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सीसे के कारण हर साल जा रही इतने लोगों की जान
खाद्य पदार्थों में सीसे की मात्रा मुनाफाखोरों के लिए तो फायदेमंद साबित हो जाती है, लेकिन आम इंसान इससे अनजाने में अपनी जान गंवा रहा है. हर साल खाद्य पदार्थों में सीसे की इतनी ज्यादा मात्रा लगभग 15 लाख लोगों को मौत के घाट उतार देती है. यदि कोई बीमारी से पीड़ित या विकलांग व्यक्ति ये खाता है तो उसे भी अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ जाता है.
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धीमें जहर का काम कर रही हल्दी?
हल्दी में सीसा की मौजूदगी धीमे जहर का काम करती है. इससे शरीर के कई अंग प्रभावित होते हैं. जैसे सीसा मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है, विशेष रूप से बच्चों में। यह सीखने की क्षमता, व्यवहार और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को कम कर सकता है. इसके अलावा सीसा किडनी को भी नुकसान पहुंचाता है और किडनी की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है. साथ ही ये हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ाता है और सीसा की ज्यादा मात्रा नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करती है और यह पक्षाघात का कारण बन सकता है.
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