आज यानी 29 फरवरी 2024 का फरवरी महीने का आखिरी दिन है. ये दिन इसलिए भी खास होता है, क्योंकि हर साल फरवरी 28 दिन की होती है, सिर्फ 4 साल में एक बार फरवरी 29 दिन की होती है. इतना ही नहीं ये साल 2024 365 की जगह 366 दिनों का होगा, क्योंकि ये एक लीप वर्ष है. इसी वजह से हर लीप वर्ष में फरवरी 28 की बजाए 29 दिन होते हैं. जानिए कैसे 365 दिनों में एक दिन एक्स्ट्रा जुड़ जाता है. 


लीप ईयर


बता दें कि हर चार साल में एक लीप वर्ष होता है. वर्ष 2020 लीप ईयर था, तो अब अगली बार ये वर्ष 2028 में आएगा. हमारे कैलेंडर के मुताबिक एक वर्ष में 365 दिन होते हैं, क्योंकि पृथ्वी को सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में यही समय लगता है, हालांकि ये अवधि पूरे 365 दिनों की नहीं बल्कि कुछ अधिक होती है. पृथ्वी को सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में 365.242190 दिन लगते हैं. इससे 365 दिन, पांच घंटे, 48 मिनट और 56 सेकंड बनते हैं. हालांकि इन अतिरिक्त घंटों को हर कुछ वर्षों में जोड़कर इसे चौथे साल में एक अतिरक्त दिन के रूप में समायोजित किया जाता है.


लीप वर्ष को लेकर कई रीति-रिवाज


लीप वर्ष से जुड़े विभिन्न रीति-रिवाज और अंधविश्वास भी हैं. उदाहरण के लिए आयरलैंड पर इसे बैचलर डे के रूप में मनाते हैं. इसे लेडीज़ प्रिविलेज के नाम से भी जाना जाता है, एक आयरिश रिवाज है जो महिलाओं को लीप डे पर पुरुषों से शादी का प्रस्ताव देने की अनुमति देता है. यह सेंट ब्रिजेट और सेंट पैट्रिक से संबंधित कहानियों के माध्यम से प्रसिद्ध हुआ. कहानियों में कहा जाता है कि ब्रिजेट पैट्रिक के पास शिकायत करने गई थी कि महिलाओं को शादी के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि पुरुष आमतौर पर प्रस्ताव देने में देर कर देते हैं. ब्रिजेट की मांग थी कि महिलाओं को भी मौका दिया जाना चाहिए.


फरवरी में ही क्यों ?


प्राचीन रोम में सम्राट जूलियस सीज़र द्वारा लीप दिवस जोड़ने के लिए फरवरी के महीने को चुना गया था. जूलियन कैलेंडर में इसे सौर वर्ष में समायोजित करने के लिए एक लीप वर्ष शामिल किया गया था. 1582 में जब जूलियन कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर में बदल गया, तो फरवरी में एक लीप दिवस जोड़ा गया. यदि लीप वर्ष नहीं होते और कैलेंडरों में अतिरिक्त समय नहीं देखा जाता, तो ऋतुओं का आरंभ और अंत समय थोड़ा अलग होता. यदि हमारे कैलेंडर में लीप वर्ष नहीं होते तो उत्तरी ध्रुव पर जून में सर्दी होती, जबकि दक्षिणी ध्रुव पर गर्मी होती.


 


ये भी पढ़ें: कोलकाता में पुलिस वाले खाकी रंग की वर्दी क्यों नहीं पहनते, सफेद ड्रेस का है ये लॉजिक