दुनिया काफी तेजी से बदल रही है. अमीर देशों का इंफ्रास्ट्रक्चर हाईटेक हो रहा है, वहां एडवांस हेल्थकेयर सिस्टम डेवलप हो रहा है. उद्योग-धंधे गांव-गांव तक पहुंच रहे हैं और लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहे हैं. सरकारें इकोनॉमी ग्रोथ को प्रमोट करने के लिए अपनी पॉलिसी लगातार बदलाव कर रही हैं. इन सब का असर जीवन प्रत्याशा (Life Expentancy)  पर पड़ा है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बदलती ट्रेड पॉलिसी और इकोनॉमिक ग्रोथ के कारण लोगों के जीने की इच्छा भी बढ़ी है, जिससे दुनिया की टॉप अर्थव्यवस्था वाले देशों में जीवन प्रत्याशा दर में सुधार हुआ है. 


रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के टॉप 29 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में जापान सबसे ऊपर है. यहां लोगों की औसत आयु 84.8 साल है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जापान के एडवांस हेल्थकेयर सिस्टम, क्राइम में गिरावट और एक्टिव लाइफ स्टाइल ने हाई लाइफ एक्सपेंटेंसी को बढ़ाने में मदद की है. वहीं, इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर हॉगकॉग है, जहां लोगों के औसत आयु 84.3 साल है. 


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इन देशों में भी बढ़ी लोगों की औसत आयु


दुनिया की टॉप इकोनॉमी में शुमार देशों में सिंगापुर, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, थाईलैंड, चीन और अमेरिका में भी लोगों की औसत आयु में सुधार हुआ है. बड़े देशों की बात की जाए तो ऑस्ट्रेलिया में औसत आयु 83.6 साल, न्यूजीलैंड में 83.8 साल, चीन में 78.5 साल, अमेरिका में 78.2 साल है. 


भारत की रैंकिंग


दुनिया के टॉप 29 देशों में भारत 26वें नंबर पर है. यहां लोगों औसत आयु 67.7 वर्ष है. भारत के बाद म्यांमार, पाकिस्तान और पापुआ न्यू गिनी का नंबर है. हैरान करने वाली बात यह है कि श्रीलंका और बांग्लादेश में लोगों की औसत आयु भारत के मुकाबले बेहतर है. श्रीलंका में औसत आयु 76.6 साल तो वहीं बांग्लादेश में औसत आयु 73.7 साल है. इसके अलावा रूस में 70.1 साल औसत आयु है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रेड पॉलिसी आर्थिक विकास को बढ़ावा देकर संसाधनों और बुनियादी ढाँचे को सुरक्षित करके लाइफ एक्सपेंटेंसी को बढ़ा सकती हैं।


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