क्या आसमान से तारे गायब होने वाले हैं, जानिए कितना खतरनाक हो सकता है लाइट पॉल्यूशन
अगर आपको लग रहा है कि तारे आसमान से कहीं चले जा रहे हैं तो आप गलत हैं. तारे आज भी वहीं हैं जहां सैकड़ों साल पहले थे. दरअसल, ये सब हो रहा है प्रकाश प्रदूषण यानी लाइट पॉल्यूशन की वजह से.
बचपन में छत पर सोते वक्त, जब रात को आसमान की ओर देखते थे तो हर तरफ सिर्फ तारे ही तारे नज़र आते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अगर आप भारत के किसी भी बड़े शहर में रहते हैं और रात में तारों को देखना चाहते हैं तो ये लगभग नामुमकिन है.
खासतौर से दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोगों के लिए तारे अब गायब हो रहे हैं. यहां तक कि गांवों में भी अब पहले की तरह रात में तारे नज़र नहीं आते. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये तारे जा कहां रहे हैं. क्या भविष्य में हमें आसमान में एक भी तारे नजर नहीं आएंगे. चलिए इसके बारे में आज विस्तार से जानते हैं.
क्यों गायब हो रहे हैं तारे
अगर आपको लग रहा है कि तारे आसमान से कहीं चले जा रहे हैं तो आप गलत हैं. तारे आज भी वहीं हैं जहां सैकड़ों साल पहले थे. दरअसल, ये सब हो रहा है प्रकाश प्रदूषण यानी लाइट पॉल्यूशन की वजह से. इसी की वजह से हमें रात में आसमान में तारे नहीं दिखाई देते.
आपको बता दें, प्रकाश प्रदूषण इंसानों द्वारा निर्मित वह प्रकाश है जो रात के समय आसमान को रोशन कर देता है और तारों की रोशनी को छिपा देता है. दरअसल, शहरीकरण और औद्योगिक विकास के चलते दुनिया भर में बड़े शहरों में प्रकाश प्रदूषण तेजी से बढ़ा है. इसी वजह से आज बड़े शहरों में तारे नहीं दिखाई देते. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुनिया की लगभग 80% आबादी ऐसी जगहों पर रहती है, जहां आसमान में तारों का स्पष्ट रूप से दिखना मुश्किल हो गया है.
ये भी पढ़ें: इस ग्रह पर दो हजार साल तक जिंदा रह सकता है इंसान, जान लीजिए क्या है रहस्य
कितना खतरनाक है प्रकाश प्रदूषण
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर प्रकाश प्रदूषण इसी दर से बढ़ता रहा, तो आने वाले समय में स्थिति यह हो सकती है कि हम धरती से नंगी आंखों से तारे देख ही ना पाएं. प्रकाश प्रदूषण की वजह से न केवल तारे कम दिखाई दे रहे हैं, बल्कि स्पेस रिसर्च और खगोलीय अध्ययन भी प्रभावित हो रहे हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर इसी तरह से प्रकाश प्रदूषण बढ़ता रहा तो आने वाले समय में कई खगोलीय घटनाएं, जैसे उल्का पिंडों की बारिश, ग्रहों का दिखना और आकाशगंगा का स्पष्ट रूप से दिखना लगभग खत्म हो जाएगा.
ये भी पढ़ें: अंतरिक्ष से वोट डालेंगे सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर, जानिए अमेरिका में वोट डालने के क्या है नियम?
नासा भी हैरान है
NASA के सुओमी नेशनल पोलर-ऑर्बिटिंग पार्टनरशिप (NPP) सैटेलाइट से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों से निकलने वाली कृत्रिम रोशनी हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है. यह रोशनी, जो अक्सर स्ट्रीट लाइट और इमारतों से आती है, "स्काईग्लो" नाम के एक प्रभाव को उत्पन्न करती है. इसके कारण रात का आकाश इतना रौशन हो जाता है कि प्राकृतिक रूप से चमकते सितारे और अन्य खगोलीय पिंड हमें दिखाई नहीं देते.
ये भी पढ़ें: Mini Moon: 29 सितंबर से आसमान में दिखेगा दो चांद, अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ने पूरी दुनिया को चौंका दिया