सुनीता विलियम्स की तरह अंतरिक्ष में फंस गए थे ये एस्ट्रोनॉट, 400 दिनों बाद हुई थी वापसी
भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स पिछले 85 दिनों से अंतरिक्ष में फंसी हुई हैं. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब इतने दिनों के लिये कोई एस्ट्रोनॉट स्पेस में फंसा हो, ऐसा पहले भी हो चुका है.
सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में 85 दिनों का लंबा वक्त गुजार चुकी हैं. इतने दिनों तक उनके स्पेस में रहने को लेकर कई लोग उनके लिए चिंता कर रहे हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का कहना है कि सुनीता और अतंरिक्ष में उनके साथ बुच धरती पर फरवरी 2025 तक लौटेंगे. बता दें NASA के अधिकारी बिल नेल्सन ने कहा था, 'बोइंग का स्टारलाइनर बिना चालक दल के धरती पर वापस आएगा।' सुनीता और विल्मोर को 13 जून को वापस आना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के कारण उनकी वापसी टल गई और अब उन्हें लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहना होगा.
हालांकि ये पहली बार नहीं है जब कोई एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में इतना लंबा समय बिता रहा हो, इससे पहले भी एक अंतरिक्ष यात्री 400 से भी ज्यादा दिनों का वक्त अंतरिक्ष में बिता चुका है. चलिए आज हम उसी अंतरिक्ष यात्री के बारे में जानते हैं.
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अंतरिक्ष में 400 दिनों से भी ज्यादा वक्त रहा था ये एस्ट्रोनॉट
दरअसल हम अंतरिक्ष यात्री वालेरी पोल्याकोव की बात कर रहे हैं. जिन्होंने 1994 और 1995 के बीच मीर अंतरिक्ष स्टेशन पर पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए पूरे 437 दिन बिताए थे. ये प्रयोग उन्होंने ये देखने के लिए किया था कि उन्होंने यह देखने के लिए प्रयोग किया था कि क्या लोग मंगल ग्रह की लंबी यात्रा करके अपना मानसिक स्वास्थ्य बनाए रख सकते हैं. इस परिक्षण से ये पता चला था कि 14 महीने अंतरिक्ष में रहने के बाद भी उनकी कार्यक्षमता में कोई कमी नहीं आई थी. उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें सोवियत संघ का हीरो और यूएसएसआर का पायलट-कॉस्मोनॉट जैसी उपाधियां दी गई थीं.
अबतक की अंतरिक्ष की सबसे लंबी यात्रा
पोल्याकोव का जन्म 1942 में राजधानी मास्को के दक्षिण में स्थित तुला शहर में हुआ था, उन्होंने पहले डॉक्टर और फिर अंतरिक्ष यात्री के रूप में योग्यता प्राप्त की. अगस्त 1988 में उन्हें अपने पहले मिशन पर भेजा गया, जहां उन्होंने अंतरिक्ष में आठ महीने बिताए. 6 साल बाद उनकी इसी उड़ान ने पोल्याकोव को अंतरिक्ष की सबसे लम्बी यात्रा का रिकार्ड दिलाया, जो आज भी कायम है. पोल्याकोव 8 जनवरी 1994 से 22 मार्च 1995 तक मीर अंतरिक्ष स्टेशन पर रहे और काम किया. हैरानी की बात है इस समय में उन्होंने पृथ्वी की 7,000 से अधिक बार परिक्रमा की. बाद में उन्होंने कहा कि यात्रा की अवधि मंगल ग्रह की यात्रा और वापस आने के बराबर थी.
बता दें मीर अंतरिक्ष स्टेशन को 1986 में कक्षा में भेजा गया था, जो पहले सोवियत संघ और बाद में रूस के नियंत्रण में था. शीत युद्ध के दौरान तैनात 135 टन (135,000 किग्रा) के इस उपग्रह का उपयोग, दीर्घकालिक राजनीतिक तनाव के बावजूद, सोवियत संघ और अमेरिका के सहयोग से किया गया था. इस मिशन से इस चीज में मदद मिली थी कि इंसान अंतरिक्ष में कितने समय तक रह सकता है और काम कर सकता है.
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