भारत में लगभग 16 करोड लोग शराब पीते हैं. प्रति व्यक्ति शराब के सेवन की मात्रा देखी जाए तो 5.61 लीटर है. जो भारत की जनसंख्या को देखते हुए काफी ज्यादा है. यही कारण है कि भारत में शराब खूब बिकती है. शराब के जरिए सरकारों की अच्छी खासी कमाई होती है. शराब पीने वाले जानते होंगे कि एक ही शराब की बोतल अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कीमतों पर मिलती हैं. यूं तो भारत में जीएसटी लागू हो चुका है लेकिन शराब जीएसटी से बाहर है. खूब सारे टैक्स लगने के बाद एक आम आदमी के हाथ में शराब की बोतल आती है. टैक्स लगने के बाद कितनी बढ़ जाती है शराब की बोतल की कीमत आइए जानते हैं इस खबर में.


एक बोतल शराब की कीमत


नई साल आने वाली है और नई साल के जश्न में लोग खूब शराब पियेंगे. शराब पीने वाले शराब की कीमतों पर कम ध्यान देते हैं. बहुत कम देखा गया है शराब की कीमत बढ़ाने के बावजूद इस पर कोई प्रोटेस्ट या कोई विरोध हुआ हो. पीने वाले चुपचाप जिस भी रेट में शराब मिलती हो खरीद लेते हैं. लेकिन हम आपको बताते हैं एक शराब की बोतल की नॉर्मल कीमत कितनी होती है और टैक्स लगने के बाद कितनी कीमत बढ़ जाती है. शराब जीएसटी से बाहर है यही कारण है कि अलग-अलग राज्यों में इसकी अलग-अलग कीमत होती है. सरकार को हर साल शराब से खूब कमाई होती है. इस तरह से समझते हैं कि अगर शराब की कोई बोतल हजार रुपए की है तो उसमें 30 से 35 फ़ीसदी टैक्स सरकार वसूलती हैं. यानी जो हजार रुपए की बोतल दुकान से खरीदी जा रही है उसमें 350 के लगभग रुपए सीधे सरकार को जाते हैं दुकानदार को नहीं.  


एक नहीं कई टैक्स होते हैं शामिल


शराब की एक बोतल पर कई सारे टैक्स लगते हैं. जिसमें स्पेशल साइज ट्रांसपोर्ट फीस लेबल और रजिस्ट्रेशन चार्ज. अगर शराब भारत में बनी है तो कम टैक्स लगेगा वही अगर विदेशी शराब है तो उसे पर ज्यादा टैक्स लगता है. यही कारण है कि एक राज्य में मिलने वाली 900 की बोतल एक राज्य में 1400-1500 की मिलती है. जिस तरह पेट्रोल और डीजल के भाव अलग-अलग राज्यों में अलग होते हैं ठीक उसी प्रकार से शराब भी अलग-अलग राज्यों में अलग टैक्स के चलते अलग कीमतों पर मिलती है. अगर कोई बोतल दिल्ली में ₹100 की मिल रही है तो वही बोतल कर्नाटक में ₹500 की मिलती है.


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