सोते हुए हमें कुछ सुनाई क्यों नहीं देता है? ये रहा इसका जवाब
हमारे कान हर समय एक ही तरह से कार्य करते हैं. कानों का काम आवाजों को दिमाग तक पहुंचाने का होता है. ये सोते समय भी अपना काम करते रहते हैं. बाकी सारा खेल दिमाग का होता है.
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Hearing While Sleeping: अपनी आंखें बंद करके आप देखना बंद कर सकते हैं, लेकिन क्या कभी सोचा है कि अगर सुनना बंद करना हो तो क्या करते हैं. लोग न सुनने के लिए अपने कानों को उंगली से दबा लिए हैं या फिर उनमें मजबूती से रुई ठूंस लेते हैं. हालांकि, तब भी बाहर की आवाज थोड़ी बहुत हमें सुनाई देती रहती है. ऐसे में सवाल यह बनता है कि जब कानों को बंद करने या रुई ठूंस लेने पर भी आवाज आना बंद नहीं आती है तो फिर हमें नींद में आसपास की आवाजें सुनाई क्यों नहीं देती हैं? आइए जानते हैं इसके पीछे का दिलचस्प कारण...
हमेशा सुनते रहते हैं कान!
दरअसल, हमारे दिमाग की कार्यप्रणाली ऐसी है जो देखने ओर सुनने सहित सभी तरह की संवेदनाओं को नियंत्रित करने का काम करती है. यह भी हमारा दिमाग ही तय करता है कि जब हम गहरी नींद में होते हैं तो आसपास की होने वाली किन आवाजों, गतिविधियों और गंधों को नजरअंदाज करना है. आपको जानकर शायद हैरानी हो, लेकिन हमारे कान हर समय एक ही तरह से कार्य करते हैं. कानों का काम आवाजों को दिमाग तक पहुंचाने का होता है. ये सोते समय भी अपना काम करते रहते हैं. लेकिन सूचनाओं के संकेत छानने का काम दिमाग करता है और तय करता है कि क्या हमें आवाज की प्रतिक्रिया देनी है या फिर सोते ही रहना है.
एक बड़ी खासियत
जब हम जागते रहते हैं तो दिमाग सुनी गई आवाजों की याद्दाश्त बनाता है, लेकिन सोते हुए यह ऐसे काम करता है जैसे कि हमने कुछ सुना ही नहीं है. यह एक बड़ी विचित्र खासियत है, क्योंकि इससे हमारी नींद बनी रहती है और जागने पर हमें यह भी याद नहीं रहता है कि सोते समय हमारे आसपास क्या हुआ था.
तेज आवाज में क्यों टूटती है नींद?
ऐसा नहीं है कि दिमाग सारी आवाजों को ही नजरंदाज कर देता है. भले ही नींद हमारा दिमाग सामान्य और छोटी आवाजों को नजरअंदाज करता है, लेकिन हमारे शरीर का सुरक्षा तंत्र सक्रिय रहता है, जिसे दिमाग ही नियंत्रित करता है. इसीलिए सोते वक्त आसपास होने वाली बहुत तेज आवाज से हमारी नींद टूट जाती है और हम हड़बड़ा कर उठ जाते हैं.
संवेदनशील गतिविधि होने पर जगा देता है
इसके अलावा वो सभी आवाजें जिनके प्रति हमारा दिमाग पहले से संवदेनशील होता है जैसे दरवाजे की घंटी या मोबाइल फोन, किसी खतरे या चेतावनी का संकेत देने वाली आवाजें सुनकर दिमाग हमें नींद से जागने पर मजबूर कर देता है. इससे नींद से उठते हुए हम यह फैसला ले पाते हैं कि हमें अपनी सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाने हैं या नहीं.
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