Live Glacier Melting: ग्लेशियर पिघलने की कहानी तो आपने बहुत सुनी होगी, लाइव वीडियो में देखें कैसे पिघल रही है हजारों एकड़ बर्फ
Live Glacier Melting : शोधार्थियों का इस घटना पर कहना था कि इस तरह से तेजी से ठंडे पानी का गर्म पानी से मिलना सुनामी का कारक बनता है.
Live Glacier Melting : कहते हैं दुनिया का एक तिहाई भाग पानी है. यह पानी ग्लेशियर के रूप में जमा है, अगर यह पूरी तरह से पिघल गया तो पूरी दुनिया डूब जाएगी. लगता है, दुनिया के डूबने का सिलसिला शुरू हो गया है, क्योंकि आज हम आपको एक ऐसा वीडियो दिखाने जा रहे हैं, जिसमें आप लाइव देख सकते हैं कि कैसे हजारों एकड़ में जमी बर्फ तेजी से पिघल रही है. दरअसल, ब्रिटिश आर्कटिक सर्वे के रिसर्चर आरआरएस जेम्स क्लार्क रोज़ ने एक ऐसा वीडियो बनाया है, जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे उनकी आंखों के सामने विलियम ग्लेशियर पहले हजारों छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटता है और फिर पिघलने लगता है. वैज्ञानिक मानते हैं कि ऐसी ही घटनाओं की वजह से समुद्र में सुनामी आती है.
साल 2020 की है घटना
विलियम ग्लेशियर पिघलने की यह घटना साल 2020 में हुई थी. दरअसल, उस वक्त ब्रिटिश आर्कटिक सर्वे के रिसर्चर आरआरएस जेम्स क्लार्क रिसर्च शोधार्थियों के साथ एक जहाज पर आर्कटिक प्रायद्वीप से समुद्र का माप ले रहे थे. वहां, उन्होंने अपनी आंखों से विलियम ग्लेशियर को हजारों टुकड़ों में बिखरते देखा. इस घटना को लेकर रिसर्चर्स की टीम का अनुमान था कि करीब 78 हजार वर्ग मीटर बर्फ टूटकर समुद्र में फैल गया. आप यह वीडियो यूरोपियन स्पेस एजेंसी नामक यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं.
उस वक्त जब यह हिमखंड टूटा तो समुद्र में 50 से 100 मीटर तक ही पानी ठंडा था, उसके नीचे का पानी गर्म था, हालांकि, जैसे ही विलियम ग्लेशियर टूटा यह सब अचानक बदल गया. समुद्र की गहराई में भी पानी ठंडा हो गया, जिससे समुद्रे के अंदर के वातावरण में तेजी से बदलाव हुआ. वैज्ञानिक मानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग इन तमाम बड़े ग्लेशियर्स के पिघलने के पीछे की सबसे बड़ी वजह है.
रिसर्चर्स ने क्या कहा इस पर
शोधार्थियों का इस घटना पर कहना था कि इस तरह से तेजी से ठंडे पानी का गर्म पानी से मिलना सुनामी का कारक बनता है. उन्होंने कॉपरनिकस सेंटिनल -1 सेटेलाइट के डेटा का इस्तेमाल करते हुए देखा तो पता चला की उनका जहाज इसके कितना करीब था. टीम का कहना था कि यह बहुत शानदार था कि हम सही समय पर सही जगह थे. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह बहुत सारे ग्लेशियर समुद्र में तेजी से समाहित हो रहे हैं और इस वजह से समुद्र के अंदर अलग तरह की लहरें पैदा हो रही हैं, यही लहरें बाद में जाकर सुनामी का रूप ले लेती हैं.
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