साइबर अपराधियों का सबसे खतरनाक गैंग है लॉकबिट, पूरी दुनिया में ऐसे मचाया कोहराम
हैकरों के इस ग्रुप ने इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना और अमेरिकी वित्त मंत्रालय को भी निशाना बनाया था. वहीं भारत की बात करें तो भारत इनके हमले का शिकार होने वाले देशों में दूसके नंबर पर है.
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डिजिटलीकरण की वजह से दुनिया में बहुत सी चीजें आसान हो गई हैं. लेकिन इसी डिजिटलीकरण ने साइबर अपराधियों को भी जन्म दिया है. आज आम इंसान से लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियों और सरकारी संस्थानों का भी डेटा सिक्योर नहीं है. चलिए आज इस आर्टिकल में आपको दुनिया के सबसे खतरनाक साइबर अपराधियों की गैंग लॉकबिट के बारे में बताते हैं. जिसे लेकर अमेरिकी पुलिस दावा कर रही है कि उसने इस गैंग को तोड़ दिया है.
क्या है लॉकबिट
लॉकबिट हैकरों का वो गैंग है जिसने दुनिया की कई बड़ी कंपनियों पर साइबर हमले किए. ये गैंग बड़ी-बड़ी कंपनियों का डेटा और पैसा पहले चुरा लेती थी और फिर उसे वापिस करने के एवज में उनसे मोटी रकम वसूल करती थी. कई बार जब कंपनियां इन्हें पैसा देने से मना कर देती थीं, तो ये उनका संवेदनशील डेटा लीक कर देते थे.
1700 से ज्यादा हमले
जर्मन न्यूज वेबसाइट deutsche welle की रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकबिट ने बीते तीन साल में कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों को निशाना बनाया है. आंकड़ों में इन संस्थानों की संख्या 1700 से ज्यादा है. इनमें, बैंक, स्कूल, परिवहन, प्राइवेट कंपनियां और सरकारी कंपनियां शामिल हैं.
यहां तक कि इन्होंने रक्षा और विमानन क्षेत्र की कंपनी बोइंग को भी निशाना बनाया. इससे पहले इन्होंने फाइनैंशियल ट्रेडिंग ग्रुप इयॉन (ION) पर भी हमला किया था. हैकरों के इस ग्रुप ने इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना और अमेरिकी वित्त मंत्रालय को भी निशाना बनाया था. वहीं भारत की बात करें तो भारत इनके हमले का शिकार होने वाले देशों में दूसके नंबर पर है. यानी इन्होंने भारत पर बीते तीन साल में जम कर हमले किये.
इनके बारे में कब पता चला
लॉकबिट के बारे में दुनिया को 2020 में पता चला. दरअसल, एक जांच के दौरान साइबर अपराधियों के रूसी भाषा के कई अड्डों पर इसका मालवेयर पाया गया था. इसके बाद से ही लॉकबिट के बारे में पूरी दुनिया को पता चला. इस गैंग का कहना है कि ये किसी सरकार या देश के लिए काम नहीं करते. ये पैसे के लिए काम करते हैं. डार्कवेब साइट पर इन्होंने जानकारी देते हुए लिखा था कि हम नीदरलैंड्स से काम करते हैं और हम पूरी तरह से अ-राजनीतिक हैं, हमारी दिलचस्पी सिर्फ पैसे में है.
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