lok sabha election 2024: आपके गांव, मोहल्ले में कहां पर होगा मतदान केंद्र?, कौन करता है इसका चुनाव
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप इलाके में बनने वाले मतदान केंद्र का चयन कौन करता है? इसको लेकर क्या नियम हैं.
लोकसभा चुनाव की तैयारियां लगभग पूरी चुकी हैं. चुनाव आयोग अपने सभी अधिकारियों को लगभग तैनात कर चुका है. बता दें कि पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल होना है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वोटिंग के लिए मतदान केंद्र को चुनने का तरीका क्या होता है. आप अपने गांव, मोहल्ले में जिस जगह पर वोट डालने जाते हैं, आखिर उस मतदान केंद्र का चुनाव कौन करता है.
कैसे चुना जाता है मतदान केंद्र?
आज हम आपको बताएंगे कि मतदान केंद्र चुनने का तरीका क्या होता है. सबसे पहले जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 में मतदान केंद्र को लेकर गाइडजाइन जारी की गई है. हालांकि बाद में आबादी के आधार पर इससे जुड़े नियमों में बदलाव भी किए गए हैं. 2020 में बने नियमों के मुताबिक हर 1500 से अधिक वोटर्स पर एक मतदान केंद्र होना चाहिए. इन नियमों के मुताबिक किसी भी पोलिंग बूथ पर एक हजार से ज्यादा वोटर्स नहीं होने चाहिए.
• इसके अलावा किसी जगह पर मतदान केंद्र चुनते समय यह ध्यान रखा जाता है कि चुनावी क्षेत्र में मतदाताओं को वोटिंग के लिए 2 किलोमीटर से दूर ना जाना पड़े. इस तरह मतदान केंद्र 2 किलोमीटर के दायरे में बनाए जाते हैं. यही वजह है कि बड़े महानगरों में पोलिंग स्टेशन की संख्या ज्यादा होती है और दूरदराज वाले इलाकों में कम होती है.
• मतदान केंद्र के लिए आमतौर पर सरकारी दफ्तर, स्कूल या कॉलेज की इमारतों को चुना जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यहां वो इंतजाम होते हैं, जो मतदान केंद्र के लिए जरूरी होते हैं. जैसे-टेबल-कुर्सी समेत अन्य संसाधन. इसके अलावा पंचायत भवन, ग्रामीण सामुदायिक केंद्र को भी पोलिंग स्टेशन बनाया जा सकता है.
• नियमों के मुताबिक अस्पताल, मंदिर, धार्मिक जगह और पुलिस स्टेशन को मतदान केंद्र नहीं बनाया जा सकता है. इतना ही नहीं यह भी ध्यान रखा जाता है कि मतदान केंद्र से 200 मीटर की दूरी पर किसी भी पॉलिटिकल पार्टी का स्थायी या अस्थायी कार्यालय नहीं होना चाहिए.
• मतदान केंद्र पर आसानी से बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाता वोटिंग कर सकें इसका भी ध्यान रखा जाता है. इसीलिए मतदान के लिए ग्राउंड फ्लोर का चुनाव किया जाता है. इसके साथ ही उनके लिए रैंप की व्यवस्था भी की जाती है.
• वहीं किसी बिल्डिंग, स्कूल या दफ्तर को मतदान केंद्र बनाया जाएगा या नहीं इसका फैसला जिलाधिकारी करते हैं. जिलाधिकारी ही पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान जिला निर्वाचन अधिकारी कहलाता है. हालांकि जिला निर्वाचन अधिकारी इसके लिए चुनाव आयोग से भी मंजूरी लेते हैं.
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