Birth Rate : कुछ समय पहले तक हम जनसंख्यां कंट्रोल पर बात करते थे, लेकिन अब कुछ उल्टा हो रहा है. लग रहा है कि कुछ देशों से कहना पड़ेगा कि आप जनसंख्यान बढ़ाने पर ध्यान दें. दरअसल, चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, जो बताते हैं कि चल रहे सदी के आखिर तक धरती पर पहली बार लोगों की संख्या कम हो सकती है. क्या लगता है ऐसा क्यों होगा? इसके पीछे की वजह मौतों का बढ़ना नहीं, बल्कि जन्म का कम होना है. जी हां, पहले के मुकाबले अब बच्चों का जन्म दर बहुत कम हो गया है. इसकी वजह से कई नकारात्मक प्रभाव भी पड़ेंगे. कई समस्याएं भी आयेंगी. 


चीन, भारत में भी जन्म दर 2.1 से नीचे


फर्टिलिटी में बदलाव के असर का अध्ययन करने वाले अर्थशास्त्री मथायस डोएप्के के अनुसार, बर्थ रेट में गिरावट कुछ अमीर देशों या किसी देश के अमीर परिवारों तक सीमित नहीं है. चीन, भारत, ब्राजील, मेक्सिको सहित 15 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भी बर्थ रेट को 2.1 से नीचे पाया गया है. GDP के हिसाब से 15 सबसे बड़े देशों में फर्टिलिटी रेट रिप्लेसमेंट रेट से नीचे है. इसमें अमेरिका जैसे अमीर देश और दुनिया की सबसे अधिक अधिक आबादी वाले देश चीन और भारत भी शामिल हैं.


जन्म दर कम होने से क्या समस्याएं होंगी?



  • जन्म दर कम होने से बुजुर्गों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. पहले जापान और इटली में बुजुर्ग अधिक होते थे, लेकिन अब इस लिस्ट में ब्राजील, मेक्सिको और थाइलैंड भी शामिल हो रहे हैं.

  • युवाओं की संख्या कम हो रही है. यह किसी देश के लिए सही नहीं है. मनोवैज्ञानकों के अनुसार, युवाओं में क्रिएटिव तरीके से सोचने की पावर होती है. युवा किसी समस्या को नए तरीके से सॉल्व करते हैं. युवा नए आइडिया और इनोवेशन करते हैं.

  • 2030 तक पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया को आधी आबादी 40 से अधिक हो जाएगी. बुर्जुगों के साथ एक समस्या यह भी ही कि वे राजनीति को स्थिर रखते हैं. इसका असर प्रोडक्टिविटी पर भी पड़ता है. 

  • दुनियाभर में जन्मदर में गिरावट की वजह से इस सदी के मध्य तक पढ़े लिखे युवा वर्करों की कमी हो जाएगी. लोग बच्चों को पैदा नहीं करना चाह रहे हैं. इससे दुनिया को युवाओं की कम संख्या और सिकुड़ती आबादी की दिक्कत का सामना करना ही पड़ेगा.


यह भी पढ़ें - भारत के इस गांव में औरतें नहीं पहनती कपड़े! सदियों से चली आ रही ये प्रथा, जानिए क्या है इसका इतिहास