कैलाश पर्वत पर तेजी से बढ़ते हैं बाल और नाखून? पढ़िए भगवान शिव के स्थान से जुड़ी खास बातें...
गर्मी के मौसम में मानसरोवर झील की बर्फ जब पिघलती है, तो एक अलग सी आवाज सुनाई देती है. ऐसी ही कई रोचक बातें हैं, जो यहां जाने वाले यात्री महसूस करते हैं. आइए जानते हैं.
Mount Kailas: हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत का खास महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह पर्वत भगवान शिव का निवास स्थान है. कैलाश पर्वत हिमालय से उत्तरी क्षेत्र तिब्बत में है, चूंकि यह क्षेत्र तिब्बत-चीन की सीमा में आता है इसलिए कैलाश पर्वत भी चीन में आता है. कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित है, जहां इसे कांग रैमपोचे का नाम दिया गया है, जिसका अर्थ है प्रीजियस ज्वेल. आइए इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं.
चारों ओर एक अलौकिक शक्ति
कैलाश पर्वत और उसके आस पास के वातावरण पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक जार निकोलाइ रोमनोव और उनकी टीम ने जब तिब्बत के मंदिरों में धर्मं गुरूओं से बात को थी, तो उन्होंने बताया कि कैलाश पर्वत के आसपास एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है, इस शक्ति में तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरूओं के साथ टेलिपेथी संपर्क करते है.
समय तेजी से बीतता है
भले ही आपको सुनने में यह अजीब लगे, लेकिन यहां जाने वाले कई यात्री इस बात का अनुभव कर चुके हैं कि कैलाश पर्वत पर समय तेजी से बीतता है. यहां पहुंच कर यात्रियों और वैज्ञानिकों ने अपने बाल और नाखूनों की तेजी से बढ़ते हुए देखा है. इसके आधार पर उनका अनुमान है कि कैलाश पर्वत पर समय तेजी से बीतता है. हालांकि, अभी तक वैज्ञानिक इसके पीछे के कारणों को ढूंढने में विफल रहे हैं.
रहस्यमय भौगोलिक स्थिति
कैलाश पर्वत की ऊंचाई लगभग 6714 मीटर है. देखने में इसकी चोटी की आकृति विराट शिवलिंग की तरह है, जिस पर साल भर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है. इस पर्वत पर चढना निषिद्ध माना जाता है, लेकिन 11वीं शताब्दी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढाई की थी. हालांकि, उन्होंने इसके बारे में कभी किसी से कोई बात नहीं की, इसलिए यह बात भी आज तक रहस्य ही है. रशिया के वैज्ञानिकों की यह रिपोर्ट 'यूएनस्पेशियल' मैग्जीन के 2004 के जनवरी अंक में भी प्रकाशित हुई थी.
गर्मी के मौसम में मानसरोवर झील की बर्फ जब पिघलती है, तो एक अलग सी आवाज सुनाई देती है. सुनने में यह आवाज मृदंग जैसी लगती है. श्रद्धालुओं मानते हैं कि यह मृदंग की आवाज है.
सूर्योदय के समय जब कैलाश पर्वत के ठंडे पहाड़ों पर सूर्य की किरणें पड़ती है तो विशाल स्वास्तिक की आकृति बनती है.