जब इस शासक ने अकबर के सबसे ताकतवर सेनापति के घोड़े सहित कर दिए थे दो टुकड़े, ऐसा था रणभूमि का मंजर
अकबर को अपने सेनापति बहलोल खां पर बहुत नाज हुआ करता था, यही वजह थी कि अकबर ने बहलोल को महाराणा प्रताप का सिर लाने के लिए भेजा था.
मुगल शासक अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुए हल्दी घाटी के किस्से आज भी मशहूर हैं. महाराणा प्रताप को मारने के लिए अकबर ने हर मुमकिन हथकंडे अपनाए थे. एक बार तो अकबर ने अपने सेनापति बहलोल खां को महाराणा प्रताप का सिर लाने के लिए भेज दिया था. बहलोल अकबर के सबसे प्रिय लोगों में से एक था, जिसपर अकबर को खूब भरोसा भी था. उसकी लंबाई ही 7 फीट 8 इंच हुआ करती थी, लेकिन युद्ध में उसके साथ जो हुआ उसे सुनकर ही आप हैरान रह जाएंगे.
महाराणा प्रताप ने अकबर के सेनापति का किया था ये हाल
बहलोल खां मुगल शासक अकबर का सेनापति था, उसके बारे में कहा जाता था कि वो कभी कोई जंग नहीं हारा था. उसने कई लड़ाईयां जीती थीं. साथ ही वो इतना जालिम था कि वो कई लोगों को दर्दनाक तरीके से मारता था. एकबार तो उसने 3 दिन के बच्चे की ही गला रेतकर हत्या कर दी थी. कहा जाता है कि अकबर बहलोल को जंग में जीती हुईं कई लड़कियां सौप देता था. ऐसे में बहलोल पर अकबर को पूरा भरोसा था, लेकिन जब वो महाराणा प्रताप के सामने गया तो उसका हाल बेहाल हो गया.
महाराणा प्रताप ने बहलोल को दी थी ऐसी मौत
महाराणा प्रताप ने 1583 में विजयादशमी पर अपने सैनिकों के साथ मेवाड़ को आजाद कराने के लिए अभियान छेड़ दिया था. प्रताप ने प्रसिद्ध संत योगी रूपनाथ व इष्ट माता चामुंडा का पावन आशीर्वाद लेकर दिवेर युद्ध प्रारम्भ किया. महाराणा प्रताप ने सेना को दो हिस्सों में बांटकर युद्ध का बिगुल बजा दिया. एक टुकड़ी का नेतृत्व स्वयं महाराणा के हाथ में था तथा दूसरी टुकड़ी का नेतृत्व उनके पुत्र अमर सिंह कर रहे थे.
युद्ध में जब बहलोल खां का महाराणा प्रताप से सामना हुआ तो वो कुछ देर भी उनके सामने न टिक सका. महाराणा प्रताप ने बहलोल को एक ही वार में चीर दिया. ये वार ऐसा था कि बहलोल उसके घोड़े सहित दो हिस्सों में बंट गया. महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा के ये किस्से आज भी याद किए जाते हैं. इसके बाद ही कहावत बनी कि मेवाड़ में सवार को एक ही वार में घोड़े समेत काट दिया जाता है.
5 घंटे में मरे थे 490 सैनिक
ये वो दिन था जब मुगलों का अजेय होने का भ्रम टूटा था. महाराणा प्रताप की सेना में 3000 तो वहीं मुगलों की सेना में 5000 सैनिक थे, लेकिन प्रताप ने महज 5 घंटे में 490 सैनिकों को अकेले मार गिराया था. इसके बाद 36000 मुगल सैनिकों ने महाराणा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था.
यह भी पढ़ें: ओलंपिक खेलों के इतिहास में कब-कब हुआ है आतंकी हमला, फ्रांस में भी हाई अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसी