(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Maharana Pratap: हल्दीघाटी में कितनी सेना के साथ अकबर से भिड़ गए थे महाराणा प्रताप? क्या एक बार ही हुआ था दोनों में युद्ध?
आज वीर योद्धा महाराणा प्रताप की जयंती है. इतिहास के पन्नों में महाराणा प्रताप को उनकी वीरता और सफल रणनीतिकार के रूप में जाना जाता है.जानिए कैसे हल्दी घाटी के युद्ध में प्रताप ने अकबर से युद्ध किया था.
आज यानी 9 मई के दिन पूरे देशभर में महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है. आज ही के दिन महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में हुआ था. आज हम आपको महाराणा प्रताप की वीरता की वो कहानी बताने वाले हैं, जब वो हल्दीघाटी में मुगल शासक अकबर से युद्ध किये थे.
महाराणा प्रताप की वीरता
महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के मेवाड़ में हुआ था. राजपूत राजघराने में जन्म लेने वाले प्रताप उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के सबसे बड़े पुत्र थे. वे एक महान पराक्रमी और युद्ध रणनीति कौशल में दक्ष थे. महाराणा प्रताप के छोटे तीन भाई और दो सौतेली बहनें थी. इतिहास के पन्नों में आज भी महाराणा प्रताप को उनकी वीरता के कारण याद किया जाता है.
हल्दीघाटी की लड़ाई
बता दें कि हल्दीघाटी की लड़ाई 18 जून 1576 को मेवाड़ के राणा महाराणा प्रताप की सेना और आमेर (जयपुर) के महाराजा आमेर के मानसिंह प्रथम के नेतृत्व में मुगल सम्राट अकबर की सेनाओं के बीच लड़ी गई थी. गौरतलब है कि हल्दीघाटी अरावली पर्वतमाला का एक क्षेत्र है, जो राजस्थान में राजसमंद और पाली जिलों को जोड़ता है. इतिहासकारों के मुताबिक मुगल शासक अकबर राजपूत क्षेत्रों में नियंत्रण हासिल करना चाहता था और अपने क्षेत्र को बढ़ाना चाहता था. इस वजह से मुगल शासक अकबर मेवाड़ पर अपनी जीत चाहता था.
वहीं युद्ध के समय महाराणा प्रताप ने अकबर की 85 हजार सैनिकों वाली विशाल सेना के सामने अपने 20 हजार सैनिक और सीमित संसाधनों के बल पर कई वर्षों तक संघर्ष किया था. कहा जाता है कि ये युद्ध करीब 4 घंटे तक चला था और महाराणा प्रताप की रणनीति सफल हुई थी. शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थी. वहीं मुगल शासक अकबर को तो उन्होंने 1577,1578 और 1579 युद्ध में तीन बार हराया था.
मुगलों के सामने हार नहीं मानी
इतिहासकारों के मुताबिक महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात जरूर गुजारी थी. लेकिन अकबर के सामने उन्होंने कभी हार नहीं मानी थी. प्रताप की सफल रणनीति की वजह से उनके सामने कभी मुगलों की जीत नहीं हुई. इतिहासकारों के मुताबिक अकबर महाराणा प्रताप की वीरता से प्रभावित था, यही कारण है कि महाराणा प्रताप की मृत्यु के समय अकबर की आंखे भी नम थी.
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