MahaShivratri 2023: यहां अनोखे तरीके से मनाते हैं महाशिवरात्रि, करते हैं एक कपल की शादी और गेस्ट होते हैं 'अघोरी'!
Happy Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि के दिन यहां नव विवाहित जोड़े को भगवान शिव और माता पार्वती मानते हुए उनका पुनर्विवाह किया जाता है.
MahaShivratri 2023: आज 18 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है. महाशिवरात्रि हिन्दु धर्म का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था. भगवान शिव के भक्त इस पर्व को बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. भोपाल में अरेरा कॉलोनी में स्थित साईं बाबा नगर के शिव मंदिर में इस पर्व को बड़े ही अनोखे तरीके से मनाया जाता है. यहां महाशिवरात्रि पर वैदिक रीति- रिवाजों से भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह होता है.
नव-विवाहित जोड़ा बनता है शिव-पार्वती
भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस विवाह के लिए एक ऐसे जोड़े को चुना जाता है, जिसकी हाल ही में शादी हुई होती है. महाशिवरात्रि के दिन इस जोड़े की भगवान शिव और माता पार्वती मानते हुए उनका पुनर्विवाह किया जाता है. खास बात यह है कि इस विवाह में उज्जैन के 120 युवक अघोरी का रूप धारण कर आते हैं. साथ ही ढोल नगाड़े बजाने वाली नागपुर की 140 युवतियों भी इस विवाह में शामिल होती हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, श्री शिव आश्रम सेवार्थ समिति भोपाल के अध्यक्ष राकेश सिंह विष्ट (बब्बू भैया) बताते हैं कि महाशिवरात्रि पर इस विवाह के लिए हर साल एक ऐसे जोड़े का चुनाव किया जाता है, जिसका विवाह पिछले साल होलाष्टक के बाद हुआ होता है. इस साल शिव-पार्वती के रूप में विवाह बंधन में फिर से बंधने के लिए आकृति ईको सिटी के पंकज मीणा और उनकी पत्नी सपना को चुना गया है.
सवा महीने पहले से ही रहना होता है अलग
सहमति मिलने के बाद नव विवाहित दंपती को महाशिवरात्रि के सवा माह पहले से ही अलग रहना पड़ता है. दोनों हर दिन पंचाक्षरी मंत्र (ऊं नमः शिवायः) का जाप करते हैं और सात्विक तरीके से जीवन जीते हैं. महाशिवरात्रि के 7 दिन पहले भगवान शिव और मां पार्वती का वैदिक विधि विधान और मंत्रोच्चार के साथ उनका आह्वन करके दोनों की पूजा की होती है. इसके बाद महाशिवरात्रि के लिए विवाह की रस्में शुरू होती हैं.
विवाह को वास्तविक दिखाने के लिए बुलाते हैं अघोरी गण
शिव बारात को वास्तविक रूप प्रदान देने के लिए समिति उज्जैन से आघोरी गणों का रूप रखने वाले कलाकारों की टोली भी बुलाती है. इस टीम में कलाकार, अघोरी शिव और मां पार्वती का रूप बनाकर शामिल होते हैं. महाशिवरात्रि पर जिस जोड़े का विवाह होता है, उसकी विदाई होलाष्टक के पहले होती है. भगवान शिव और मां पार्वती का रूप धारण किए जोड़े का पूजन किया जाता है. इसके बाद नवदंपती अपना जीवन अपने तरीके से जीने के लिए स्वतंत्र होते हैं.
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