भारत के पहले स्वतंत्रता दिवस के जश्न में शामिल नहीं हुए थे महात्मा गांधी, जानें क्या था कारण
भारतवासी 15 अगस्त 2024 के दिन अपना 77 वां स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 77 साल पहले आजादी के समय महात्मा गांधी आजादी महोत्सव में शामिल क्यों नहीं हुए थे.
![भारत के पहले स्वतंत्रता दिवस के जश्न में शामिल नहीं हुए थे महात्मा गांधी, जानें क्या था कारण Mahatma Gandhi did not participate in the celebration of India first Independence Day at that time Mahatma Gandhi was in Bengal भारत के पहले स्वतंत्रता दिवस के जश्न में शामिल नहीं हुए थे महात्मा गांधी, जानें क्या था कारण](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/08/04/ad0a644c0079050e2a423b0870f3ef041722785109397906_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
इस साल भारत 15 अगस्त 2024 के दिन अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. आजादी का जश्न पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1947 में आजादी के वक्त भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आजादी महोत्सव में शामिल नहीं हुए थे. जी हां, जब देश आधिकारिक रूप से आजाद हो रहा था, उस वक्त महात्मा गांधी समारोह में शामिल नहीं हुए थे. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे.
आजादी महोत्सव
भारत को आधिकारिक रूप से 15 अगस्त 1947 के दिन आजादी मिली थी. देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले दो बड़े नेता नेता महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू देशभर के जननेता थे. आजादी के वक्त जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को पत्र भेजकर स्वाधीनता दिवस पर आशीर्वाद देने के लिए बुलाया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महात्मा गांधी ने पत्र के जवाब में क्या लिखा था.
महात्मा गांधी का पत्र
पत्र के जवाब में महात्मा गांधी जी ने कहा था कि जब देश में सांप्रदायिक दंगे हो रहे हैं, ऐसी स्थिति में वो कैसे आजादी के जश्न में शामिल हो सकते हैं. जब जवाहरलाल नेहरू 14-15 अगस्त, 1947 की रात आजाद भारत में पहला भाषण दे रहे थे, उस वक्त बहुत कम लोगों को पता था कि महात्मा गांधी ने तब किसी भी समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया था. क्योंकि भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया था.
अपने पत्र में उस समय महात्मा गांधी ने कहा था कि मैं 15 अगस्त पर खुश नहीं हो सकता. मैं आपको धोखा नहीं देना चाहता, मगर इसके साथ ही मैं ये नहीं कहूंगा कि आप भी खुशी ना मनाएं. उन्होंने कहा था कि दुर्भाग्य से आज हमें जिस तरह आजादी मिली है, उसमें भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष के बीज भी हैं. ऐसे मे हम आजादी के जश्न के दीए कैसे जला सकते हैं? मेरे लिए आजादी की घोषणा की तुलना में हिंदू-मुस्लिमों के बीच शांति अधिक महत्वपूर्ण है.
आजादी के वक्त कहां थे महात्मा गांधी
अब सवाल ये है कि आजादी के समय महात्मा गांधी कहां थे. आजादी के दस्तावेजों में दावा किया गया है कि आजादी के समय गांधी जी बंगाल में शांति लाने के लिए कलकत्ता में थे. वहां एक साल से अधिक समय से हिंदू व मुसलमानों में संघर्ष चल रहा था. महात्मा गांधी नोआखली (जोकि अब बांग्लादेश में है) जाने के लिए 9 अगस्त, 1947 को कलकत्ता पहुंचे थे. यहां वह मुसलमालों की बस्ती में स्थित हैदरी मंजिल में ठहरे और बंगाल में शांति लाने और खून खराबा रोकने के लिए भूख हड़ताल शुरू कर दी थी. उन्होंने 13 अगस्त, 1947 को लोगों से मुलाकात करते हुए शांति के प्रयास शुरू कर दिए थे. आजादी से कुछ सप्ताह पहले उनका बिहार और फिर उसके बाद बंगाल जाने का भी कार्यक्रम था.
ये भी पढ़ें: सुनीता विलियम्स के पास बचा है सिर्फ इतने दिन का फ्यूल, जानें फिर क्या होगा?
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)