ममता कुलकर्णी की तरह क्या कोई भी बन सकता है महामंडलेश्वर? जानें इसके लिए कहां करना होता है आवेदन
Mamta Kulkarni Mahamandaleshwar: मशहूर एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने आध्यात्म की राह चुनी, उनको किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की उपाधि मिली थी, चलिए आपको बताते हैं कैसे मिलती है महामंडलेश्वर की उपाधि
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Mamta Kulkarni Mahamandaleshwar: बॉलीवुड की फेमस एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने बीते दिनों लग्जरी लाइफ और शानों शौकत की जिंदगी को छोड़कर अपने जीवन को आध्यात्म के हवाले कर दिया. प्रयागराज में चल रहे पावन महाकुंभ में एक्ट्रेस ने खुद को लग्जरी लाइफ से अलग करते हुए किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपाधि को ग्रहण किया. किन्नर अखाड़े के आचार्यों की तरफ से ममता का पट्टाभिषेक किया गया और इसी के साथ 53 साल की इस एक्ट्रेस को नया नाम मिला यमाई ममता नंद गिरि. हालांकि, अब किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास ने ममता कुलकर्णी के अलावा आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को बर्खास्त कर दिया है.
ऐसे में लोगों के मन में सवाल आता है कि क्या कोई भी महामंडलेश्वर बन सकता है? चलिए आज हम आपको बताते हैं कि अखाड़े का महामंडलेश्वर कौन बन सकता है, इसके लिए क्या जरूरी प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं...
महामंडलेश्वर कौन होते हैं
महामंडलेश्वर सनातन धर्म में एक विशेष उपाधि होती है. शंकराचार्य के बाद महामंडलेश्वर का पद सबसे उच्च माना जाता है. यह उपाधि अखाड़ा प्रणाली में उच्चतम स्तर के संत को प्रदान की जाती है. भारत में इस समय 13 मान्यता प्राप्त अखाड़े हैं, जिनके अंदर यह उपाधि दी जाती है. अखाड़ों का हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान है, जो हिंदू रीति- रिवाजों, दर्शन और मठवासी अनुशासन को बनाए रखने और इनकी रक्षा के लिए काम करते हैं. इन अखाड़ों में शंकराचार्य की पदवी सर्वोच्च होती है, ठीक उसके बाद आते हैं महामंडलेश्वर. एक बार किसी को महामंडलेश्वर की दीक्षा और उपाधी दे दी जाती है तो उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वो अपने पुराने नाम और पहचान का त्याग कर दें, आध्यात्म के मार्ग पर चलें
और खुद का जीवन मानवता की रक्षा के लिए समर्पित कर दें. अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो महामंडलेश्वर धार्मिक ज्ञान, तपस्या, नेतृत्व क्षमता और समाज सेवा में उत्कृष्ट योगदान देते हैं. महामंडलेश्वर छत्र-चंवर लगाने और चांदी के सिंहासन पर बैठने के अधिकारी होते हैं.
कैसे बनते हैं महामंडलेश्वर
महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया हर अखाड़े में अलग-अलग होती है. अगर किसी को महामंडलेश्वर बनना है तो उसके लिए उसको पांच स्तर की जांच प्रकिया से गुजरना पड़ता है. पहले उसे अपना नाम, पता, शैक्षिक योग्यता, सगे-संबंधियों की जानकारी और नौकरी एंव व्यवसाय के बारे में बताना होता है. इसके बाद अखाड़े से जुड़े थानापति उस व्यक्ति के बारे में सारी जानकारी जुटाते हैं. उसके परिजनों एवं रिश्तेदारों से संपर्क करके जानकारी ली जाती है. स्कूल-कॉलेज में जाकर पड़ताल की जाती है, इसके अलावा थाने में उस व्यक्ति के बारे में पता किया जाता है. इसके बाद उस अखाड़े जिसमें महामंडलेश्वर बनना है उसके सचिव भी उस व्यक्ति के बारे में अलग-अलग तरीके से जांच करते हैं.
सभी तरह की जांच प्रक्रिया हो जाने के बाद कुंभ में अखाड़ों के लिए तमाम तरह के पद दिए जाते हैं, उसमें महामंडलेश्वर का पद भी शामिल होता है. महामंडलेश्वर के लिए पिंडदान और पट्टाभिषेक मुख्य प्रक्रिया होती है. अगर किसी को महामंडलेश्वर बनना है तो उसके लिए अखाड़ों से सीधा संपर्क करना होता है. महामंडलेश्वर बनने के बाद वह व्यक्ति चांदी के सिंहासन बैठने का अधिकारी होता है. इसके अलावा इसी सिंहासन पर बिठाकर महामंडलेश्वर की छत्र-चंवर के साथ सवारी निकाली जाती है.
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