मांडव नगर से कैसे बन गया मंडी, जानिए हिमाचल प्रदेश के इस खूबसूरत शहर का इतिहास
मंडी को हिमाचल की काशी के नाम से भी जाना जाता है. यहां के लोग इसे छोटी काशी के नाम से भी बुलाते हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि अकेले इस छोटे से शहर में 81 हिंदू मंदिर हैं.
भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश के मंडी से बॉलिवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को लोकसभा का टिकट दिया है. ट्विटर पर इस सीट और अभिनेत्री कंगना रनौत को लेकर काफी बातें कहीं जा रही हैं. हालांकि, आज इस आर्टिकल में हम आपको उन बातों के बारे में नहीं बल्कि मंडी जिले के नाम के बारे में बताएंगे. इसके साथ ही बताएंगे कि आखिर कभी मांडव नगर के नाम से जाना जाने वाला ये इलाका मंडी कैसे बन गया?
मंडी का इतिहास क्या है?
हिमाचल प्रदेश के इस शहर का इतिहास करीब 13 सौ साल पुराना है. इस शहर को इतिहास में मांडव नगर के नाम से जाना जाता था, वहीं तिब्बती लोग इसे जहोर कह कर बुलाते थे. इस शहर को हिमाचल प्रदेश का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र भी बताया जाता है. अब आते हैं इसके नाम पर. कहा जाता है कि इस शहर से बहने वाली ब्यास नदी के किनारे कोल्सरा नाम के एक खास पत्थर पर बैठ कर महान संत मांडव ने तप किया था. उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम मांडव नगर पड़ा था. हालांकि, बाद में लोगों ने इस शहर के नाम को आम बोलचाल की भाषा में मांडव से मंडी कर दिया.
दो रियासतों में बंटा ये जिला
आज का मंडी जिला दो रियासतों से मिल कर बना है. ये दो रियासतें थीं सुकेत रियासत और मंडी रियासत. सुकेत रियासत की स्थापना जहां 765 ईस्वी में वीरसेन ने की थी. वहीं मंडी रियासत की स्थापना भी सुकेत राजवंश के ही राजा बाहुसेन ने 1000 ईस्वी में की थी. बाद में इन्हीं दोनों रियासतों के हिस्सों को मिला कर मंडी शहर बना.
हिमाचल की काशी
मंडी को हिमाचल की काशी के नाम से भी जाना जाता है. यहां के लोग इसे छोटी काशी के नाम से भी बुलाते हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि अकेले इस छोटे से शहर में 81 हिंदू मंदिर हैं. इसके अलावा ब्यास नदी के किनारे बसे पुराने मोहल्ले इसे बिल्कुल बनारस वाली तासीर देते हैं. अगर आप मंडी घूमने जाना चाहते हैं तो उस शहर में कम से कम 10 दिन रुकिए, तब कहीं जा कर आपको मंडी की तासीर समझ में आएगी. एक दो दिन में ये शहर किसी को समझ नहीं आता.
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