दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जमानत दे दी. सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े सीबीआई और ईडी दोनों केस में राहत मिली है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कई शर्तों के मनीष सिसोदिया को जमानत दी है. जिसमें विदेश नहीं जाना भी शामिल है. आज हम आपको बताएंगे कि कोर्ट से जमानत मिलने के बाद विदेश जाने के लिए किससे इजाजत लेना पड़ता है.
मनीष सिसोदिया
बता दें कि मनीष सिसोदिया 17 महीने से तिहाड़ जेल में बंद है. सीबीआई ने भ्रष्टाचार केस में सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था. वहीं ईडी ने 9 मार्च, 2023 में उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था. उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को मंत्री पद से इस्तीफा दिया था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि केस में अब तक 400 से ज्यादा गवाह और हजारों दस्तावेज पेश किए जा चुके हैं. वहीं आने वाले दिनों में केस खत्म होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है. ऐसे में सिसोदिया को हिरासत में रखना उनके स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा. माना जा रहा है कि सिसोदिया आज शाम तक जेल से बाहर आ सकते हैं.
किन शर्तों पर जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए कहा कि वो समाज के सम्मानित व्यक्ति हैं. इसलिए उनके भागने की आशंका तो नहीं है. लेकिन फिर कुछ शर्तों का उन्हें पालना करना पड़ेगा. जिसमें पहली शर्त है कि सिसोदिया को जमानत के लिए पासपोर्ट जमा करना होगा. वहीं उन्हें हर सोमवार और गुरुवार को पुलिस के सामने हाजिरी लगानी होगी.
विदेश जाने के लिए कौन देगा इजाजत
किसी आरोपी के विदेश जाने के लिए कई नियम होते हैं. लेकिन एक एक्सपर्ट के मुताबिक मनीष सिसोदिया के केस में उन्हें अगर किसी जरूरी या स्वास्थ्य संबंधी कारणों से विदेश जाने की जरूरत महसूस होती है, तो उन्हें कोर्ट से ही इजाजत मिल सकती है. क्योंकि उनका पासपोर्ट जमा है और कोर्ट के आदेश के बाद ही उनका पासपोर्ट दोबारा उन्हें मिलेगा और वीजा संबंधित सारी कार्रवाई शुरू हो सकती है. हालांकि अगर उनके आवेदन में कोई गड़बड़ी की आशंका लगती है, तो पुलिस समेत सीबीआई और अन्य एजेंसी कोर्ट में साक्ष्य पेश करके उनकी यात्रा पर रोक लगा सकते हैं.
केंद्रीय मंत्री कब करते हैं विदेश यात्रा
बता दें कि केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को विदेश दौरे से पहले अलग-अलग डिपार्टमेंट से अप्रूवल लेना होता है. वहीं केंद्र और राज्य मंत्रियों को क्लियरेंस मिलने के प्रोसेस में फर्क होता है. जैसे किसी राज्य के मुख्यमंत्री को अगर निजी या काम के सिलसिले से विदेश यात्रा करनी है, तो उन्हें पॉलिटिकल और फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेटिंग एक्ट के तहत क्लियरेंस लेना जरूरी होता है. वहीं अगर कोई सांसद संसद सत्र के दौरान निजी यात्रा पर जा रहा है, तो उसे प्रधानमंत्री की मंजूरी भी जरूरी होती है. विदेश यात्राओं को लेकर मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और अन्य सरकारी अधिकारियों के विदेश यात्रा को लेकर कैबिनेट सचिवालय की ओर से 2015 में एक सर्कुलर जारी किया गया था.
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