Excessive Heat Wave: भले ही अपने देश में इस समय ज्यादातर इलाके बाढ़ और भूस्खलन का सामना कर रहे हो, लेकिन इसी दौरान दुनिया के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जो भीषण गर्मी से झुलस रहे हैं. इसकी गंभीरता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि फीनिक्स, एरिज़ोना में एक व्यक्ति को गर्मी की लहरों ने इस कदर जला दिया कि उसके शरीर से स्किन छुट रही है और उसके मस्तिष्क को "तला हुआ" बताया गया है.


सड़क पर अधमरी हालत में मिला शख्स 


हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस अज्ञात व्यक्ति को सड़क पर अधमरी हालत में पाया गया था, जो नशीली दवाओं से घिरा हुआ था. जो लोग बेघर हैं, वे शुक्रवार, 14 जुलाई, 2023 को 55 साल और उससे अधिक उम्र के बेघर लोगों के लिए डाउनटाउन फीनिक्स में बने एक डे सेंटर (जस्टा सेंटर) के बाहर ठंडे पानी से ठंडक पाने की कोशिश करते दिखे. फीनिक्स में लगातार पिछले 15 दिनों में 110 डिग्री फ़ारेनहाइट (43.3 डिग्री सेल्सियस) या इससे अधिक तापमान दर्ज किया गया.


बेहोश होने से पहले कर रहा था अजीब हरकतें


प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बेहोश होने से पहले वह व्यक्ति अजीब व्यवहार कर रहा है, वह बार-बार ट्रक के किनारे पर अपना सिर भी पटक रहा था. उसके जलने की गंभीरता इतनी अधिक थी कि उसकी त्वचा उसके शरीर से अलग हो रही थी. आपातकालीन कक्ष में पहुंचने पर इस आदमी के शरीर का आंतरिक तापमान 107 डिग्री था. ऐसी खबरों के बीच यह बेहद जरूरी हो जाता है कि खुद को हिट वेव से बचा कर रखा जाए.


ये हो सकते हैं हीट स्ट्रोक के लक्षण


हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, हीट स्ट्रोक और हीट थकावट का पता लगाने और उसका इलाज करने के लिए, संकेतों और लक्षणों के बारे में जागरूक होना महत्वपूर्ण है. आमतौर पर ऐसी स्थिति में भारी पसीना, पीलापन, मांसपेशियों में ऐंठन, थकान, कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, पेट खराब या उल्टी और बेहोशी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं. अगर लक्षण बिगड़ जाएं या एक घंटे से अधिक समय तक बने रहें, तो जल्दी से जल्दी चिकित्सकीय सहायता लें.


तापमान का दिमाग पर क्या असर पड़ता है?


नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की पीएचडी छात्रा अन्ना एंड्रियासेन ने कहा, "यह जानकर आपको वास्तव में काफी हैरानी होगी कि गर्मी में आपका दिमाग खराब हो सकता है, यानी कि गर्मी से दिमाग पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है." एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि जीवित प्रजातियों, चाहे वह मछली हो या इंसान, तापमान के साथ उनके दिमाग की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है. अध्ययन बताते हैं कि इंसान के दिमाग को तापमान बहुत ज्यादा प्रभावित करता है. जब तापमान 12 से 21 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है, तब मनुष्य सबसे अच्छे मूड में होता है. इस तापमान में हमें गुस्सा भी कम आता है.


104 डिग्री फ़ेरेनहाइट से अधिक तापमान खतरनाक!


हीट स्ट्रोक का मतलब होता है शरीर का तापमान आवश्यकता से ज्यादा बढ़ जाना. इसे अधिकांशतः वह लोग अनुभव करते हैं जो लंबे समय तक तेज धूप और ऊंचे तापमान से सीधे संपर्क में रहते हैं. इसके कारण शरीर का तापमान 104 डिग्री फ़ेरेनहाइट या इससे अधिक तक पहुंच सकता है. यह स्थिति कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है, और इसलिए लोगों को इस बारे में विशेष सतर्क रहना चाहिए.


अत्यधिक गर्मी से हो सकती है मौत!


डिस्कवर मैग्जीन की एक रिपोर्ट में इलिनोइस अर्बाना-शैंपेन यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंटिस्ट और इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर लव वार्ष्णेय बताते हैं कि अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है, जिससे संभावित रूप से बेहोशी की स्थिति पैदा हो सकती है. “पर्याप्त उच्च तापमान पर, रक्त-मस्तिष्क अवरोध टूटने लगता है और इसलिए अवांछित प्रोटीन और आयन मस्तिष्क में जमा हो सकते हैं, जिससे सूजन हो सकती है और सामान्य कामकाज में गड़बड़ी हो सकती है. वार्ष्णेय कहते हैं, इससे प्रोटीन भी प्रकट हो सकते हैं, जो मस्तिष्क में कोशिका मृत्यु का कारण बन सकते हैं.


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