जवानी में ही कई लोग कर लेते हैं आत्महत्या, आंकड़े चौंकाने वाले
साल दर साल सरकार के कई प्रयासों के बाद भी यंगस्टर्स द्वारा आत्महत्या के मामलों में इजाफा देखा जा रहा है, जिसका सबसे ज्यादा शिकार युवा हो रहे हैं.
राजस्थान के बाड़मेर में हाल ही में आत्महत्या का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें मां ने अपने चार बच्चों के साथ पानी में कूदकर आत्महत्या की कोशिश की. इस हादसे में चारों बच्चों की तो मौत हो गई, लेकिन महिला को बचा लिया गया. उसके सभी बच्चों की उम्र पांच से 11 साल की बीच थी.
इसके अलावा हाल ही में महाराष्ट्र कैडर के IAS ऑफिसर विकास रस्तोगी और राधिका रस्तोगी की बेटी लिपि ने सचिवालय के पास वाली इमारत की 10वी मंजिल से छलांग लगाकर खुदखुशी कर ली है. लिपि की उम्र 27 वर्ष बताई जा रही है. वहीं इटावा से भी प्रेमी और प्रेमिका द्वारा आत्महत्या का मामला सामने आया है. कुछ ही दिनों में आत्यहत्या के ये कुछ ही मामले हैं, देश में इस तरह के कई मामले रोज सामने आ रहे हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर देस में युवाओं द्वारा आत्महत्या के ये मामले बढ़ते क्यों जा रहे हैं?
हर साल इतने युवा कर लेते हैं आत्महत्या?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर साल लगभग 7 लाख लोग सुसाइड कर अपनी जान गवां देते हैं. यानी दुनिया में जितने लोग मलेरिया, कैंसर, एचआईवी जैसी बीमारियों से नहीं मरते, उससे ज्यादा लोग तो सुसाइड कर अपनी जान गवां रहे हैं.
डब्ल्यूएचो की रिपोर्ट के मुताबिक, 15 से 29 साल के युवाओं की मौत की सबसे बड़ी वजह सुसाइड है. बता दें एनसीआरबी द्वारा 2022 में जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, आत्महत्या करने वाले सभी लोगों में 18-30 वर्ष की आयु के युवा वयस्कों की हिस्सेदारी 35% थी, जो सबसे बड़ी हिस्सेदारी थी. इसके बाद 30 से 45 वर्ष की आयु के वयस्कों का दूसरा स्थान था, जिनकी हिस्सेदारी सभी आत्महत्याओं के अनुपात में 32% थी.
देशभर में अलग-अलग है आत्महत्या की दर
भौगोलिक दृष्टि से बड़े और अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में आत्महत्या की दर सबसे अधिक पाई गई थी, जैसे केरल में केरल में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 28.5 की दर सबसे ज्यादा थी, जिसके बाद छत्तीसगढ़ में 28.2 तथा फिर तेलंगाना में 26.2 थी.
महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश, जो कि पूर्ण संख्या के आधार पर तीन बड़े राज्य हैं, सामूहिक रूप से देश में होने वाली सभी आत्महत्याओं में से एक-तिहाई के लिए जिम्मेदार हैं. इन प्रदेशों में आत्महत्या दर 18.1, 25.9 और 17.9 सालाना है. इन सभी आंकड़ों में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों द्वारा आत्महत्या के ज्यादा मामले सामने आते हैं.
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