Reservation In India: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर बड़ा हो सकता है. महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर लगातार हलचल है. तमाम नेता इसे लेकर सभाएं कर रहे हैं और बवाल भी शुरू हो चुका है. इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में भी आरक्षण को लेकर कई आंदोलन देखे गए हैं. ये भी देखा गया है कि राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए राज्यों में आरक्षण की सीमा को लांघने से भी नहीं चूकते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि देश में सबसे ज्यादा आरक्षण किसे मिलता है.
राज्यों में अलग-अलग आरक्षण
दरअसल देश में आरक्षण की एक सीमा तय की गई है. कानून के मुताबिक आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती है. हालांकि ज्यादातर राज्यों ने इस सीमा को पार कर लिया है. अलग-अलग समुदाय के वोट बैंक को देखते हुए राज्य सरकारें अपने हिसाब से नौकरियों और बाकी चीजों में आरक्षण देने का प्रावधान करती हैं. सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले को लेकर बहस चल रही है.
भारत में किसे कितना मिलता है आरक्षण?
देश में जाति आधारित आरक्षण की सीमा की बात करें तो केंद्र सरकार ने सबके लिए अलग-अलग आरक्षण तय किया है. जिसके मुताबिक अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी को सबसे ज्यादा 27%, अनुसूचित जातियों (एससी) को 15% और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को 7.5% आरक्षण दिया जाता है. इसके अलावा आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों यानी EWS कैटेगरी के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था है. राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी नौकरी के लिए यही रिजर्वेशन पॉलिसी फॉलो होती है.
मराठा आरक्षण पर क्यों हो रहा बवाल?
दरअसल महाराष्ट्र में मराठाओं की संख्या काफी ज्यादा है. ये कुल आबादी के करीब 33 फीसदी हैं. कई मुख्यमंत्री भी इसी समुदाय से बन चुके हैं. मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे भी मराठा हैं. ऐसे में मराठा मांग कर रहे हैं कि उन्हें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण दिया जाए. मराठा अपने लिए ओबीसी दर्जे की मांग कर रहे हैं.