साल का पहला महीना हुआ करता था मार्च, कैसे तीसरे नंबर पर आया?
सदियों पहले मार्च पहला महीना हुआ करता था. जिसके नाम पर जूलियस सीजर ने मुहर लगाई थी, लेकिन क्या आपको पता है कि ये तीसरा महीना कैसे बन गया.
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आज साल की तीसरे महीने मार्च की पहली तारीख है. एक समय ये महीना साल का पहला महीना हुआ करता था. जिसे शूरवीरों का महीना भी कहा जाता है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये महीना तीसरे नंबर पर कैसे आ गया. तो चलिए इतिहास के पन्ने पलटते हुए इसकी वजह जानते हैं.
लैटिन शब्द से लिया गया मार्च
मार्च को लैटिन शब्द मार्टियस से लिया गया है. जो युद्ध के रोमन देवता का नाम था. दरअसल ये महीना खगोलशास्त्री सोसिजीन द्वारा विकसित किया गया था. ऐसे में क्योंकि ये पहला महीना था इसलिए इसका नाम जोश से भर देने वाला रखने का सोचा गया. यही कारण था कि इसका नाम युद्ध के देवता के नाम पर रख दिया गया. जब रोमन कैलेंडर की शुरुआत हुई तो इस महीने को साल का पहला महीना माना गया. बता दें उस समय कैलेंडर में 12 नहीं बल्कि 10 ही महीने हुआ करते थे.
कैसे मार्च साल का तीसरा महीना बना?
मार्च को तीसरा महीना बनाने का श्रेय रोमन शासक नुमा पोम्पिलियस को जाता है. दरअसल नुमा पोम्पिलियस ने ही जनवरी और फरवरी को साल की शुरुआत में जोड़ा था, जिसके चलते मार्च तीसरे नंबर का महीना हो गया. हालांकि कुछ संसकृृतियों और धर्मोंं में साल की शुरुआत अब भी मार्च महीने से ही मानी जाती है. आपको बता दें कि मार्च उन 7 महीनों में से है जिसमें 31 दिन होते हैं.
भारत में हर्षोल्लास का महीना
भारत में मार्च माह को हर्षोल्लास के महीने के रूप में देखा जाता है. ये महीना फाल्गुन माह के आसपास होता है. साथ ही इस महीने में महाशिवरात्रि और होली जैसे पर्वों को बड़े ही उल्लास के साथ सेलिब्रेट किया जाता है. साथ ही महिलाओं के लिए भी ये महीना बेहद खास होता है, क्यों इसी महीने महिला दिवस भी मनाया जाता है. जिसे महिलाओं के खिलाफ अंहिसा के दिन से जोड़कर देखा जाता है.
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