Maternity Leave Policy In India: हमारे देश में कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कई नियम लागू किए हुए हैं. इन्हीं में से एक कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश भी है. दरअसल कामकाजी महिलाएं जब गर्भावस्था में होती हैं तो उस समय उन्हें मेटरनिटी लीव की सख्य जरुरत होती है. इसी का ध्यान रखते हुए कंपनियों को महिलाओं को ये लीव देना जरुरी होता है. कई महिलाओं में इस अवकाश से जुड़े कई सवाल होते हैं, उन्हीं में से एक सवाल ये भी है कि आखिर इस छुट्टी को कितनी बार और कब-कब लिया जा सकता है. यानी कितने बच्चे होने पर मैटरनिटी लीव ली जा सकती है और इसे लेकर क्या कानून है? चलिए आज इस सवाल का जवाब जानते हैं.


कितने बच्चे होने पर ली जा सकती है मैटरनिटी लीव?


गर्भावस्था के दौरान मह‍िलाएं मातृत्व अवकाश या मैटरनिटी लीव की सुव‍िधा ले सकती हैं. ये छुट्टी महिलाओं को बच्चे के जन्म और उसकी शुरुआती देखभाल के लिए दी जाती है. बता दें सभी गर्भवती मह‍िलाएं मातृत्व अवकाश के ल‍िए पात्र होती हैं. इसके साथ ही यदि कोई महिला 3 महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेती हैं, तो वो भी 12 सप्ताह की छुट्टी की पात्र होती हैं. इन छुट्टियों के दौरान महिलाओं को किसी तरह की परेशाी न हो, इसके लिए कंपनी उन्हें उनकी पूरी सैलरी भी देती रहती है. ये सैलरी मातृत्व अवकाश जिस दिन से शुरू होता है तब से लेकर जब तक ये खत्म होता है उस समय तक दी जाती है.


अब सवाल ये उठता है कि ये छुट्टी महिलाएं कितने बच्चों पर ले सकती हैं? तो बता दें कि मैटरनिटी कोई भी महिला महज 2 बच्चों के जन्म पर ही ले सकती है. यानी यदि वो तीसरे बच्चे को जन्म भी देती है और छुट्टी लेना चाहती है तो वो मैटरनिटी लीव नहीं ले सकती.


क्या है कानून?


मैटरनिटी लीव (संशोधन) अधिनियम, 2017 के मुताबिक, गर्भवती महिला 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश की पात्र होती हैं. ये छुट्टियां महिला की डिलीवरी के आठ सप्ताह पहले से शुरू हो सकती हैं. हालांकि इसके साथ कुछ नियम भी होते हैं, जैसे मह‍िलाएं पहली दो गर्भावस्थाओं के लिए ही ये छुट्टियां ले सकती हैं. यदि तीसरा बच्चा होने जा रहा है तो इस अवकाश का समय सिर्फ 12 सप्ताह ही होता है.


यह भी पढ़ें: सिर्फ भारत ही नहीं, ये देश भी झेल रहे आरक्षण की आंच, यहां तो सैकड़ों लोग गंवा चुके जान