दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी के निकाय चुनाव 4 दिसंबर को होने हैं. चुनाव के लिए पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है और आज उम्मीदवारों ने नामांकन भी फाइल कर दिए हैं.  नामांकन के बाद उम्मीदवार चुनाव प्रचार में जुट जाएंगे और प्रचार थमने के समय तक लोगों को लुभाने की हरसंभव कोशिश की जाएगी. चुनाव प्रचार में उम्मीदवार काफी पैसा भी करते हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने प्रचार में खर्च होने वाले पैसों की एक लिमिट तय की हुई है. चुनाव आयोग के अनुसार, उम्मीदवार चुनाव में सिर्फ 8 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं. ऐसे में जानते हैं कि एक उम्मीदवार इन 8 लाख रुपयों को कुस तरीके से खर्च कर सकता है और इन पैसों को खर्च करने के लिए क्या नियम हैं...


बता दें कि चुनाव आयोग ने इस चुनाव में ही खर्च करने की सीमा में इजाफा किया है, जिसके बाद कोई भी कैंडिडेट 8 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है. इससे पहले साल 2017 के चुनाव में उम्मीदवारों को अपने प्रचार में 5.75 लाख रुपये खर्च करने की परमिशन थी. 2017 में खर्च करने की सीमा को 5 लाख से 5 लाख 75 हजार रुपये किया गया था, जबकि 2012 में यह 5 लाख थी. इससे पहले 2004 में चुनाव में खर्च सीमा 4 लाख रुपये होती थी. 2004 से अब तक इसमें 4 लाख का इजाफा हो चुका है. 


कब तक माना जाता है चुनावी खर्चा?
जब कोई उम्मीदवार चुनाव के लिए नामांकन भरता है, उस वक्त से लेकर चुनाव तक के समय के बीच प्रचार पर जो खर्चा किया जाता है, उसे इसमें शामिल किया जाता है. इसका उम्मीदवारों को ब्यौरा रखना होता है और बिल आदि दस्तावेज के साथ चुनाव आयोग में रिजल्ट के बाद अपनी रिपोर्ट देनी होती है. उम्मीदवारों को रिजल्ट घोषित होने के 10 दिन के भीतर ये रिपोर्ट चुनाव आयोग को देनी होती है. इसके अलावा जमानत राशि के रुप में भी उम्मीदवार को 5 हजार रुपये जमा करने होते हैं. इसके लिए उम्मीदवार को नामांकन दाखिल करने से पहले एक खाता भी खोलना होता है, जिससे वो चुनाव के खर्च कर सके. इसके साथ ही हर रोज के हिसाब से एक डायरी में हर खर्च की जानकारी होनी चाहिए.


8 लाख रुपये कहां कहां कर सकते हैं खर्च?
चुनाव आयोग की ओर से खर्च सीमा तय की जाती है, उसमें यह भी तय होता है कि आप कैश में कितना पेमेंट कर सकते हैं. पहले 10 हजार रुपये तक के ट्रांजेक्शन कैश में किए जा सकते थे और उससे ज्यादा पेमेंट के लिए चेक आदि का इस्तेमाल करना होता था. लेकिन, अब चुनाव आयोग 10 हजार रुपये कैश की लिमिट को 2 हजार रुपये करने जा रहे है. इससे अगर 2 हजार रुपये से ज्यादा का पेमेंट करते हैं तो चेक आदि की आवश्यकता होगी. साथ ही इस खर्च सीमा में ब्रेड पकौड़ा, सेंडविच, जलेबी जैसी चीजों की कीमत तय रहती है और उनके हिसाब से ही खर्च का ब्यौरा दिया जाता है. नियमों के अनुसार, अगर कोई प्रत्याशी किसी को एक चाय पिलाता है या समोसा खिलाता है तो उसे सारे पैसे देने होते हैं और हिसाब भी जमा करना होता है. 


इसके साथ ही अगर कोई प्रत्याशी किराए पर कार्यालय लेता है तो उसकी जानकारी देनी होती है और इसमें भी कार्यालय के इलाके के हिसाब से किराया तय होता है. साथ ही प्रचार में जो जो खर्चा होता है, वो इस 8 लाख रुपये में ही शामिल है. हालांकि, किसी पार्टी या पार्टी के नेता की ओर से पार्टी के कार्यक्रम के प्रचार के लिए किए गए खर्च को कवर नहीं किया जाता है. मगर, अन्य रैली, सोशल मीडिया से प्रचार आदि का खर्चा इसमें ही शामिल होता है. 


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