Measles Treatment: कोविड के कारण वैश्विक स्तर पर खसरा एक बड़े खतरे के रूप में उभरकर सामने आया है. दुखद यह है कि पूरी दुनिया में छोटी उम्र के बच्चे ही इस वायरस की चपेट आ रहे हैं. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में खसरा बच्चों को बड़ी संख्या में अपनी चपेट में ले रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अकेली मुंबई में 200 बच्चे खसरे से इन्फेक्टेड हो चुके हैं. 13 बच्चे दम तोड़ चुके हैं. विश्व के साइंटिस्ट और डॉक्टर इस वायरस के फैलाव पर नजर बनाए हुए हैं. विशेष बात यह है कि यह वायरस छोटी बच्चों को ही अधिक संक्रमित कर रहा है. जानने की कोशिश करते हैं कि कितनी उम्र तक के बच्चों के लिए यह वायरस अधिक घातक है?


5 साल से कम उम्र के बच्चे अधिक खतरे में
मुंबई में खसरे के प्रकोप से सभी माता पिता परेशान हो रहे हैं. अन्य स्टेट में भी लोग अपने लाडलों को लेकर चिंता जता रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चे इस वायरस की चपेट में अधिक आ सकते हैं. 2 साल के बच्चे के लिए और अधिक खतरा है. इन बच्चों को आइसोलेट किए जाने की जरूरत है. यह बीमारी संक्रामक है और एक से दूसरी में बहुत तेजी से पफैलती है


वैक्सीन नहीं लगी तो अधिक खतरनाक
अधिकांश वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन ही कारागर मानी जाती है. डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक स्टडी में सामने आया है कि कोई भी टीका किसी भी बीमारी से 100 प्रतिशत बचाव नहीं कर सकता. ऐसा ही खसरा के साथ है. लेकिन एक बार वैक्सीन लगने के बाद बच्चे में हलके लक्षण दिखाई देेंगे. जो बच्चे टीके नहंी लगवाए हैं. उनमें निमोनिया, डायरिया, सेप्सिस गंभीर नेचर के दिख रहे हैं. टीका लगवाने वाले बच्चों में यही लक्षण कम गंभीर होंगे. बचाव के लिए खसरे की दोनों वैक्सीन लगवानी चाहिए. 


एंटीबॉडी बनने में कितना समय लगता है?
डॉक्टरों का कहना है कि टीकाकरण होने के बाद एंटीबॉडी डेवलप होने में कम से कम 4 सप्ताह का वक्त लग जाता है. इससे बचाव के लिए सबसे अच्छा तरीका केवल वैक्सीनेशन ही है. जिन लोगों ने अभी तक बच्चों को खसरे का टीका नहीं लगवाया है. उन्हें जल्द से जल्द छोटे बच्चों को खसरे का टीका लगवा देना चाहिए. टीका लगनेे के कुछ सप्ताह बाद खसरे के खिलाफ एंटीबॉडी बन जाएंगे. इससे बीमारी पर काबू पाया जा सकता है. 


क्या दिख रहे लक्षण?
वायरस के संपर्क में आने के बाद लक्षण दिखने में दस दिन लगते हैं. कुछ शुरुआती सामान्य लक्षणों में खांसी, सर्दी, नाक बहना, गले में खराश, भूख न लगना, तेज बुखार और शरीर में दर्द शामिल हैं. पांच दिनों के बाद, चकत्ते दिखाई देते हैं, जो धब्बेदार लाल निशान की तरह दिखते हैं. ये आमतौर पर बच्चे के कान के पीछे से शुरू होते हैं. बाद में अन्य हिस्से में फैल जाते हैं. कुछ मामलों में मुंह में उपर की ओर सफेद निशान दिख सकते हैं. 


बचाव के लिए क्या करें?
प्रशासन को संक्रमित बच्चों की तलाश कर जल्द से जल्द इलाज शुरू करा देना चाहिए. माता पिता या परिजन बच्चे को बाहर न लेकर जाएं. संदिग्ध पेशेंट होने पर बच्चे को आइसोलेट कर लें. टीकाकरण नहीं हुआ है तो तुरंत टीका लगवाएं. परेशानी दिखने पर तुंरत डॉक्टर को दिखाएं. 


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 


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