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वो दवा जिसके लिए दुनियाभर में मारे जा रहे गधे, मेकअप के लिए भी होता है इस्तेमाल

दुनियाभर में तेजी से गधों की संख्या कम हो रही है. दरअसल गधों को मारकर उनके खाल का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए किया जा रहा है. जानिए गधे के खाल से कौन सी दवा बनती है ?

 

दुनियाभर में बहुत सारे ऐसे जानवर हैं, जिनकी तस्करी होती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे जानवर के बारे में बताने वाले हैं, जिसको आज पूरी दुनिया में मारा जा रहा है. दरअसल दुनियाभर में गधों और खच्चरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करने वाली ब्रिटेन की संस्था ‘द डंकी सेंचुरी’ ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. उनकी रिपोर्ट के मुताबिक हर साल करीब 6 मिलियन (60 लाख) गधों को मौत के घाट उतारा जा रहा है. जानिए आखिर गधों से ऐसी कौन सी दवा बन रही है, जिसके लिए गधों को मारा जा रहा है. 

कौन सी दवा ?

बता दें कि गधों की हत्या और तस्करी के पीछे सबसे बड़ा कारण एजियो है. जिसे ‘कोला कोरी असीनी’ या ‘डंकी हाइड ग्लू’ भी कहते हैं. खासकर चीन तमाम पारंपरिक दवाईयों में एजियो का इस्तेमाल करता है. एजियो का इस्तेमाल यौनवर्धक, पौरुष शक्ति और ताकत बढ़ाने वाली दवाईयां बनाने के अलावा स्किन केयर और ब्यूटी प्रोडक्ट्स तक में इसका इस्तेमाल होता है. 

कैसे बनता है एजिया

एजियो गधे की खाल से निकलने वाले कोलेजन से बनता है. खाल से इसको निकालने के बाद गोलियों या तरल रूप में दूसरी चीजों में मिलाकर इसे प्रोड्यूस किया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन में एजियो की भारी डिमांड है, लेकिन सप्लाई लिमिटेड है.

चीन में गधे की डिमांड

चीन में गधे की खाल का सबसे ज्यादा डिमांड है. द डंकी सेंचुरी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जिस तरीके से गधों को उनकी खाल के लिए मौत के घाट उतारा जा रहा है, अगर उसे नहीं रोका गया तो आने वाले 5 सालों में दुनिया भर में गधों की कुल संख्या अभी के मुकाबले आधी हो जाएगी. 

गधों की संख्या हो रही कम

रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया में सबसे तेजी से गधों की संख्या घट रही है. इन देशों में हजारों सैकड़ो अवैध बूचड़खाने खुल गए हैं, जो सिर्फ गधों का कत्ल कर रहे हैं. इसके बाद उनकी खाल और दूसरी चीजों को अवैध तरीके से चीन को एक्सपोर्ट किया जा रहा है. वहीं द डंकी सेंचुरी के सीईओ माइक बेकर ने बताया कि जिस तरीके से गधों का कत्ल किया जा रहा है, उससे इनके अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है. 

ब्लैक गोल्ड

एजियो को ब्लैक गोल्ड भी कहा जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत लगभग एक से डेढ़ लाख रुपये किलो के बीच है.

 चीन में कितनी एजियो इंडस्ट्री?

चीन में एजियो इंडस्ट्री खासकर पिछले एक दशक में तेजी से उभरी है. 2013 में जहां चीन हर साल 3200 टन एजियो का उत्पादन करता था, 2016 में यह 5600 टन पहुंच गया था. वहीं 2016 से 2021 के बीच एजियो का प्रोडक्शन 160% बढ़ा है. माना जा रहा है कि चीन में साल 2027 तक प्रोडक्शन 200% बढ़ सकता है.

चीन को हर साल कितने गधों की जरूरत ?

‘द स्किन अपडेट’ नाम के एक अध्ययन के मुताबिक चीन की एजियो इंडस्ट्री को हर साल लगभग 4.8 मिलियन (48 लाख) गधों की खाल की आवश्यकता होती है. 1992 में चीन में करीब 11 मिलियन (एक करोड़ दस लाख) गधे थे, लेकिन आज यह संख्या घटकर केवल 2.6 मिलियन (26 लाख) रह गई है.  जानकारी के मुताबिक ऐसे में चीनी इंडस्ट्री अपनी आपूर्ति सुनिश्चित करने और गधे की खाल की तलाश में दूसरे देशों की मदद ले रही है.

दूसरा विकल्प

जीव विज्ञान के वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘सेलुलर कृषि’ नामक प्रक्रिया का उपयोग करके गधे से मिलने वाले कोलेजन को कृत्रिम तौर पर लैब में भी तैयार किया जा सकता है. इससे गधों की हत्या पर रोक लगेगी. डंकी सेंक्चुरी समेत तमाम संस्थाएं एजियो प्रोड्यूस करने वाली कंपनियों से इस संबंध में बात कर रही है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. 

 

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