Meerut Murder Case: साहिल या मुस्कान, मेरठ मर्डर केस में असली आरोपी कौन? जानें ऐसे केस में ये कैसे होता है तय
Meerut Murder Case: मेरठ मर्डर केस में पुलिस की जांच में नए नए मोड़ सामने आ रहे हैं. लेकिन इस मामले का असली आरोपी कौन है ये अभी तक तय नहीं हो पाया है. इस मामले में सजा भी अदालत तय करेगी.

Meerut Murder Case: मेरठ के सौरभ राजपूत हत्याकांड से हर कोई हिल गया है. इस मामले में सौरभ की पत्नी मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल पर हत्या का आरोप है. लेकिन इस खौफनाक वारदात का असली सूत्रधार कौन है? क्या मुस्कान ने चालाकी से अपने पति को मारा या फिर साहिल का अंधविश्वास और जुनून. पुलिस की जांच में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं. रिपोर्ट की मानें तो एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह का कहना है कि मुस्कान इस मामले में असली साजिशकर्ता है. मुस्कान ने साहिल की कमजोरी को हथियार बनाकर उसे इस्तेमाल किया और अपने पति की हत्या में शामिल किया.
साहिल सिर्फ मोहरा या उस पर भी सवार था हत्या का जुनून
वहीं साहिल को लेकर पुलिस का कहना है कि उसने सौरभ का कटा सिर और हाथ लेकर 24 घंटे तक अपने कमरे में रखा और वहां सोया. उसके घर से भगवान शिव की फोटो के साथ-साथ तंत्र-मंत्र की तस्वीरें भी बरामद हुई हैं, जो कि अंधविश्वास की ओर इशारा कर कर रही हैं. लेकिन अभी यह तय नहीं हो पाया है कि साहिल सिर्फ मुस्कान का मोहरा था या फिर उसका अंधविश्वास और जुनून भी इसमें शामिल था.
असली आरोपी कौन
पुलिस ने तो अपनी जांच में मुस्कान को असली आरोपी बताया है. लेकिन साहिल की हरकतें कठपुतली मात्र नहीं हैं. ये एक मास्टरमाइंड दिमाग और एक अंधे जुनून का खेल दिखाता है. इस तरीके के मामलों में आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया है. लेकिन भारत में आपराधिक कानून में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं. अब BNS यानि भारतीय न्याय संहिता IPC की जगह ले चुकी है. नए कानून के तहत इस तरह सी सजा की है संभावना.
ऐसे तय हो सकती है सजा
BNS की धारा 103 यानि हत्या का मामला है. ऐसे मामले में क्रूरता को देखते हुए मुस्कान और साहिल को आजीवन कारावास मिलना तो तय माना जा रहा है. इसमें पैरोल की संभावना सीमित है. अगर अपराध इतना जघन्य है कि समाज के लिए खतरनाक मिसाल बने तो इस केस में फांसी की सजा भी हो सकती है. सुनियोजित साजिश, क्रूरता, सामाजिक प्रभाव को देखते हुए सजा मिल सकती है. इसके अलावा BNS की धारा 105 यानि सुनियोजित हत्या मतलब सोच समझकर पूरी प्लानिंग के तहत किया गया मर्डर. इसके तहत उम्रकैद या फांसी हो सकती है.
इसके अलावा BNS की धारा 238 भी लगेगी जो कि सबूत मिटाने की कोशिश के तहत आती है. इस मामले में सात साल की सजा और जुर्माना हो सकता है. BNS की धारा 61 इसके तहत दोनों ने साथ मिलकर साजिश रची थी. इसके लिए अलग से उम्रकैद हो सकती है.
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