भारत में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. लाखों यात्री हर रोज भारतीय रेलवे से सफर करते हैं. रेलवे की तरह ही राजधानी दिल्ली समेत अन्य महानगरों में मेट्रो की सुविधा मौजूद है. महानगरों के जाम से बचने और ऑटो-कैब के महंगे किराया से बचने के लिए हर रोज हजारों यात्री मेट्रो में सफर करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय रेलवे में इस्तेमाल होने वाला एक कोच और मेट्रो में इस्तेमाल होने वाला एक कोच कितने का आता है. जानिए कितनी है इनकी कीमत.


रेलवे ट्रेन कोच 


क्या आप जानते हैं कि रेल को शुद्ध हिंदी में लोहपथगामिनीकहते हैं. इसका मतलब होता है लोहा के पथ पर गमन करने वाली गाड़ी. दरअसल रेल के इंजन और उसके कोच के निर्माण में 80 फीसदी से ज्यादा स्टील का उपयोग किया जाता है. देशभर में भारतीय रेलवे की अलग-अलग फैक्ट्रियों में रेल कोच और इंजन का निर्माण किया जाता है. उदाहरण के लिए एक एसी कोच के निर्माण पर 3 करोड़ रुपये तक खर्च आता है. इस कोच को तैयार करने में स्टील और एल्युमीनियम दोनों का इस्तेमाल होता है. इसमें कोच का बाहरी हिस्सा स्टेनलेस स्टील से जबकि अंदर का हिस्सा एल्युमीनियम से बनाया जाता है. इसके अलावा स्लीपर कोच में सवा करोड़ और जनरल कोच बनाने में करीब 1 करोड़ रुपये का खर्च आता है. वहीं इंजन समेत एक ट्रेन के निर्माण में लगभग 66 करोड़ का खर्च आता है. ये खर्च ट्रेन की आधुनिकता के मुताबिक कम और अधिक हो सकता है. 


मेट्रो कोच की कीमत


आपने अधिकांश मेट्रो ट्रेनों में 4,6 या 8 कोच देखे होंगे. जिनमें दोनों तरफ बैठने के लिए सीट होती है. वहीं बीच में खड़े होकर सफर करने के लिए भी जगह मौजूद होती है. जानकारी के मुताबिक वर्तमान में दूसरे देशों से आयातित कोचों की कीमत 8 से 9 करोड़ रुपये के दायरे में आती है. जबकि घरेलू स्तर पर निर्मित कोचों की कीमत लगभग 7 से 8 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है. ऐसे में एक मेट्रो ट्रेन की कीमत 60 से 70 करोड़ तक माना जा सकता है. 


 


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