19 जुलाई को माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर डाउन हुआ तो पूरी दुनिया परेशान हो गई. कई सर्विसेज इसकी वजह से बाधित हुए. यहां तक कि कई एयरलाइन सर्विसेज और एयरपोर्ट भी इस आउटेज की वजह से बाधित हुए. अब सवाल उठता है कि जब माइक्रोसॉफ्ट का आउटेज हुआ तो उस वक्त हवा में उड़ रहे विमानों को कैसे कंट्रोल किया गया. क्या उनके आपस में टकराने का खतरा नहीं था. चलिए आज इस आर्टिकल में आपको इन्हीं सवालों का जवाब देते हैं.


क्या प्लेन आपस में टकरा सकते थे


अगर आपको लगता है कि माइक्रोसॉफ्ट के इस आउटेज की वजह से हवा में उड़ रहे प्लेन आपस में टकरा सकते थे तो आप गलत हैं. दरअसल, एयरलाइंस कंपनियों के पास बैकअप रिडटेंटर सर्वर होते हैं. जैसे ही मुख्य सर्वर काम करना बंद करते हैं ये बैकअप अपने आप एक्टिवेट हो जाते हैं और सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं. हां ये जरूर है कि बैकअप सर्वर से काम स्लो हो जाता है. यही वजह है कि कल आपने देखा होगा कि कई एयलाइंस कंपनियों के बोर्डिंग पास पर कर्मचारी जानकारी हाथ से लिख कर दे रहे थे.


इमरजेंसी कम्यूनिकेशन नेटवर्क का होता है इस्तेमाल


सर्वर डाउन होने की जब कभी कोई घटना होती है तो ऐसी स्थिति में एयरलाइन कंपनियां इमरजेंसी कम्यूनिकेशन नेटवर्क का इस्तेमाल करती हैं. दरअसल, नेटवर्क आउटेज की स्थिति में हवा में उड़ रहे विमानों और कंट्रोल रूम के बीच कम्यूनिकेशन को स्थापित करने में मदद करता है. यही वजह है कि सर्वर ठप होने के बाद भी प्लेन आसानी से हवा में उड़ पाते हैं.


रेडियो कम्यूनिकेशन का भी लिया जाता है सहारा


अगर किसी स्थिति में इमरजेंसी कम्यूनिकेशन नेटवर्क भी काम नहीं कर रहा हो तो एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम इस स्थिति में रेडियो कम्यूनिकेशन का सहारा लेती है. दरअसल, एयरलाइन कंपनियों के पास एक खास तरह की रेडियो फ्रिक्वेंसी होती है और वह उसी के जरिए हवा में उड़ रहे विमानों से संपर्क साधते हैं.


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