ठंड समेत अन्य मौसम में पृथ्वी पर पक्षियों के हजारों किलोमीटर के सफर के विस्थापन ने हमेशा ही लोगों को चौकाया है. लगातार वैज्ञानिक भी इसके सभी पहलुओं पर अध्ययन करते रहते हैं कि ये पक्षी क्यों और कैसे सफर करते हैं. रिसर्चर ने करंट बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में उन्होंने ऐसा तरीका खोजा है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि प्रवास यात्रा के दौरान ये पक्षी बीच बीच में कहां रुकते हैं, आराम करते हैं, और अपनी ऊर्जा हासिल कर फिर से निकल पड़ते हैं. इससे पक्षियों को संरक्षित करना आसान होगा.
ठहरने की जगह
बता दें कि सालाना विस्थापन का मामला केवल कुछ ही पक्षियों और मौसम से नहीं जुड़ा हुआ है. करोड़ों और अरबों पक्षी पृथ्वी की संरचना और सालाना मौसम के बदलाव के अनुसार अपनी यात्रा करते हैं. प्रिंसटन यूनिवर्सीटी के पीएचडी छात्र फेंगयी गुओ की अगुआई में हुए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने प्रवासी पक्षियों के सफर के दौरान उनके रुकने और आराम करने संबंधी जानकारी हासिल करने के तरीके पर काम किया है.
क्या मैप बन सकता?
शोधकर्ताओं ने यह जानने का प्रयास किया कि क्या मौसम के रडार इमेजरी तकनीक का उपयोग कर उत्तर अमेरिका में इन पक्षियों के रुकने के इलाकों को मैप बनाया जा सकता है या नहीं. अधिकांश जमीन के पक्षी रात को विस्थापन यात्रा करते हैं और सूर्यास्त के बाद ही अपना सफर शुरू करते हैं. मौसम का राडार इस गतिविधि को कैद कर लेता है, लेकिन इसके आंकड़ों के मायने निकालने में गहन संसाधन करने की जरूरत होती है. राडार वायुमंडल से हर छह से दस मिनट के जानकारी लेता है और 80 किलोमीटर के दायरे में पक्षियों की उड़ान शुरू करने की गतिविधि को पकड़ने का काम करता है.
पक्षियों का संरक्षण
इस रिसर्च की अहमित को बताते हुए अध्ययन के सहलेखक डेविड विलकोव बताते हैं कि सबसे पहले तो उन्हें पूरे पूर्वी अमेरिका में पक्षियों के ठहरने के स्थानों की सही और सटीक तस्वीर हासिल हो गई है. यह जानकारी इसलिए अहम है क्योंकि इससे उन इलाकों की पहचान की जा सकेगी, जिनका संरक्षण कर इन पक्षियों को विस्थापन मार्ग को सुरक्षा देने की जरूरत है. जिससे पक्षियों को किसी तरह का नुकसान ना हो.
कहां ठहरते हैं पक्षी?
रिसर्च में पता चला है कि पक्षियों के ठहरने के ये हॉटस्पॉट प्रमुख तौर पर पर्णपाती जंगल हैं, जिसमें कई कटे हुए इलाके भी शामिल हैं. ये क्षेत्र हर साल बहुत सारे पक्षियों के लिए खास आराम करने वाले बिंदु की तरह हैं. फिर भी पक्षियों का विस्थापन अब भी कई चुनौतियों से भरपूर बना हुआ है. केवल आधे ही इस तरह के क्षेत्र संसाधन उपयोग और मानव दखल से मुक्त हैं. एक रोचक बात यह भी है कि अध्ययन में कई इलाकों में मौसम के हिसाब से भी अंतर देखे गए हैं. पतझड़ में इस्तेमाल किए जाने वाले इलाकों का वसंत में उपयोग नहीं होता बल्कि तब पक्षी दूसरी जगह पर आराम करते हैं. केवल 17 फीसदी इलाके ही ऐसे जाते हैं, दोनों मौसम में पंक्षी आराम करते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि पक्षियों के ठहरने की जगहों पर उनकी संख्या बहुत अधिक होती है इसलिए उन्हें सरक्षण की ज्यादा जरूरत है.