Mini Eye: आपने लैब में ब्लड बनने के बारे में सुना होगा. कुछ लोगों ने तो ब्लड भी नहीं सुना होगा. अब अगर आप उन्हीं लोगों में से हैं तो आपको कैसा लगेगा अगर हम आपसे कहें कि वैज्ञानिकों ने आंखें बनाकर तैयार की है. हैरान हुए? आज की इस खबर में हम इसी बारे में बात करने जा रहे हैं. लैब में बनी इन आंखों को ‘मिनी आई’ नाम दिया गया है. ऐसे पहली बार हुआ है जब वैज्ञानिकों ने 3D मिनी आई बनाई, जिसे रेटिनल ऑर्गेनॉयड्स कहा गया. खबर है कि इसे बनाने के लिए इंसानों की स्किन का इस्तेमाल किया गया है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने मिनी आई को विकसित किया है. इस मिनी आई में पुतली और रेटिना में पाए जाने वाले पिगमेंट भी है. आगे जानिए कि यह मिनी आई कैसे इंसानों के काम आएगी.
मिनी आई से इंसानों को फायदा?
वैज्ञानिकों के अनुसार, इससे पहले जानवर की कोशिकाओं पर रिसर्च हुई थी, लेकिन बेहतर रिजल्ट्स नहीं मिले थे. अब इंसान की स्किन से तैयार मिनी आई से कई बातों का पता लगाया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर, इंसान को दिखना क्यों बंद हो जाता है. अशर सिंड्रोम के होने की वजह, जिसमें इंसान के सुनने और देखने की क्षमता प्रभावित हो जाती हैं. इसके अलावा आंखों से जुड़ी जेनेटिक बीमारियों को समझा जा सकता है, जिससे उनके इलाज में मदद मिल सकती है. वैज्ञानिकों के अनुसार, मिनी आई पर की जाने वाली रिसर्च से 50 साल की उम्र के बाद होने वाले मैकुलर डिजेनेरेशन का इलाज को ढूंढने में सहायता होगी, जिसमें समय के साथ आंखों की रोशनी घटने लगती है
कैसे तैयार की गई मिनी आई?
स्टेम सेल रिपोर्ट जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च के अनुसार, इस मिनी आई में रॉड सेल्स को वैसे ही तैयार किया गया हैं जैसे हमारी आंखों के रेटिना में होती हैं. हमारी आंख में रॉड सेल्स आंखों के पिछले हिस्से में पाई जाती हैं. ये कोशिकाएं इंसान को चीजों को देखने या उसका विजन तैयार करने में मदद करती हैं. ये कोशिकाएं इमेज की प्रॉसेसिंग करके चीजों को देखना आसान बनाती है. लैब में तैयार आंखों में भी यही खूबी दी गई है.
डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, मिनी आई को तैयार करने के लिए रिसर्चर्स ने अशर सिंड्रोम से पीड़ित एक युवा मरीज की स्किन सेल्स को कलेक्ट किया. इससे स्टेम कोशिकाएं बनाई गईं. इसके बाद लैब में आंखों को बनाने की प्रॉसेस शुरू हुई. यह प्रॉसेस बिल्कुल वैसी ही थी जैसे गर्भ में 9 महीने तक बच्चा पलता है. वैज्ञानिकों ने धीरे-धीरे आंख में 7 तरह की कोशिकाएं तैयार कीं, जिसमें से एक पतली पर्त रोशनी की पहचान कर सकती है.
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