'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' वेब सीरीज तो आप को याद ही होगी. जिसमें हर्षद मेहता के स्कैम की कहानी दिखाई गई थी. हर्षद मेहता ने करीब 5 हजार करोड़ का स्कैम किया था. इसी सीरीज के निर्देशक हंसल मेहता ने 'स्कैम 2003-द तेलगी स्टोरी' सीरीज भी बनाई है. इस स्टोरी में उन्होंने अब्दुल करीम तेलगी की कहानी दिखाई है. जिसमें तेलगी ने फर्जी स्टैंप पेपरों के जरिए हर्षद मेहता से करीब 6 गुना ज्यादा बड़ा स्कैम किया था. आज हम आपको बीते साल 2023 में हुए एक स्कैम के बारे में बताएंगे, जिसकी कहानी 'स्कैम 2003-द तेलगी स्टोरी' से मिलती जुलती है. 


क्या है मामला ?


दिल्ली पुलिस ने छह महीने तक चले एक गुप्त ऑपरेशन में नकली स्टैंप पेपरों की डिजाइनिंग, छपाई और सप्लाई से जुड़े एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस मामले की जांच में पुलिस ने छह राज्यों में छापेमारी करके 13 लोगों को गिरफ्तार किया है. जानकारी के मुताबिक इस मामले में करोड़ों रुपए के नकली स्टैंप बरामद किए गए है. इस मामले में पुलिस ने मास्टरमाइंड को भी गिरफ्तार करके उनकी फैक्ट्री को नष्ट कर दिया था. 


कैसे हुआ खुलासा ?


इस मामले में पुलिस ने साल 2023 के मई महीने में एक वकील द्वारा धोखाधड़ी किए जाने का आरोप लगाने के बाद एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच शुरू की थी. जांच में पता चला था कि नासिक में सरकारी प्रिंटिंग केंद्र ने पुष्टि की थी कि उसे बेचे गए टिकट असली नहीं थे. फिर एक अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान शिकायतकर्ता को नकली शेयर ट्रांसफर स्टैंप बेचने वाले प्रदीप कुमार नाम के एक आरोपी को 23 मई को गिरफ्तार किया गया था. उसके कब्जे से 2,700 नकली शेयर ट्रांसफर स्टैंप भी बरामद हुए थे. पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि ये स्टैंप उसे अकबर नाम के शख्स और उसके भाई असगर ने बेचे थे. फिर पुलिस ने छापेमारी करके भाई-बहन को गिरफ्तार कर लिया था. उनके पास से और भी नकली शेयर ट्रांसफर स्टैंप बरामद हुए थे. पुलिस ने लगातार पूछताछ और जांच के बाद कुछ अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जो लोगों को ये जाली स्टैंप बेचते थे. पुलिस की जांच में पता चला कि राकेश कुमार जायसवाल और रंजीत कुमार नाम के दो व्यक्ति मास्टरमाइंड थे. पूछताछ में पता चला कि ये लोग गिरफ्तार किए गए कई आरोपियों को इन टिकटों की सप्लाई करते थे. इसके बाद पुलिस ने जून 2023 में दोनों मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया और पूछताछ के आधार पर धातु की प्लेटों और अन्य उपकरणों के साथ नकली शेयर ट्रांसफर टिकटों को प्रिंट करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों को बरामद किया. पूछताछ के दौरान यह भी पता चला कि आरोपी जाली शेयर ट्रांसफर स्टैंप, डाक टिकट और स्टैंप पेपर को प्रिंट करते थे. इसके बाद उन्हें अपने 'डिस्ट्रीब्यूटर' को देते थे. जिसके बाद ये लोग इसे शहरों में ग्राहक को बेच देते थे. इससे सरकारी राजस्व को बड़ा नुकसान होता था. 


दो करोड़ से अधिक का स्कैम 


पुलिस द्वारा जांच में पता चला कि नकली शेयर ट्रांसफर स्टैंप, स्टैंप पेपर और डाक टिकटों की कुल कीमत शुरुआत में 2.24 करोड़ रुपये से अधिक थी. पुलिस की पूछताछ में पता चला कि आरोपी लग्जरी लाइफ जीने के शौकीन थे. आरोपी अक्सर नाइट क्लबों में जाकर शराब और लग्जरी लाइफ पर पैसे उड़ाते थे. ये घटना उस अब्दुल करीम तेलगी की याद दिलाती है, जिसने एक रात में एक डांस बार में 93 लाख रुपये खर्च किए थे. बता दें कि 'स्कैम 2003-द तेलगी स्टोरी' अब्दुल करीम द्वारा किए गए स्कैम पर आधारित है.