भारत में हर साल 18 दिसंबर के दिन अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाया जाता है. बता दें कि भारतीय संविधान में हर भारत के नागरिक को समान अधिकार दिया गया है. अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाने के पीछे अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा करना है. 


अल्पसंख्यक दिवस


देश में हर साल 18 दिसंबर के दिन अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने के पीछे की वजह अल्पसंख्यक समुदायों की रक्षा करना है. बता दे कि अल्पसंख्यक समुदायों को विकास से जुड़ें, कल्याण से जुड़े मामलों में, अधिकार, शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक कार्यों में कल्याण हेतु जागरूक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है.


किस कहते हैं अल्पसंख्यक


बता दें कि भारत में रहने वाले ऐसे समुदाय जिनकी संख्या कम है, उन्हें अल्पसंख्यक कहते हैं. जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं. लेकिन ये सच है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग प्रजाति, भाषा, धर्म या परंपरा बहुसंख्यकों से अलग हैं, लेकिन राष्ट्र निर्माण, एकता, सांस्कृतिक परंपरा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. भारत में कुछ समुदायों को अल्पसंख्यक के तौर पर चिन्हित किया गया है, जिसमें मुस्लिम, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी और जैन समुदाय भी है.


भारत में 19 फीसदी अल्पसंख्यक


भारत में अल्पसंख्यक होने का आधार भाषा और धर्म माना गया है. अल्पसंख्यक क्षेत्र विशेष में उनकी जाति, धर्म, संस्कृति, भाषा, परंपरा की सुरक्षित रहे यह मुख्य उद्देश्य है. हालांकि संविधान में भाषा और धर्म को अल्पसंख्यक माना गया है. भारत की कुल जनसंख्या में करीब 19 फीसदी ही अल्पसंख्यक समुदाय हैं. अल्पसंख्यक भारतीय संविधान की धारा 15 और धारा 16 के मौलिक अधिकारों में लिखा है. सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को उनका विशेष अधिकार मिले, ऐसे लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलेगा. इसको लेकर संविधान में नियम है.


अल्पसंख्यकों के लिए अलग से मंत्रालय 


 भारत में अल्पसंख्यकों का मंत्रालय लोगों को उनके अधिकारों, रक्षा, सुरक्षा, शिक्षा का अधिकार, संवैधानिक अधिकार, आर्थिक सशक्तिकरण, महिला सशक्तिकरण, समान अवसर, कानून के तहत सुरक्षा और संरक्षण आदि के प्रति लोगों को जागरूक करता है. भारत में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।


भारत में अल्पसंख्यकों को मिले हैं ये अधिकार


• भारतीय संविधान में धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को अनुच्छेद 29 और 30 में विशेष अधिकार दिए हैं. बता दें कि अनुच्छेद 29(1) के अनुसार किसी भी समुदाय के लोग जो भारत के किसी राज्य मे रहते हैं या कोई क्षेत्र जिसकी अपनी आंचलकि भाषा, लिपि या संस्कृति हो, उस क्षेत्र को संरक्षित करने का उन्हें पूरा अधिकार है. ये प्रावधान जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत है.
• अनुच्छेद 30(1) के तहत सभी अल्पसंख्यकों को धर्म या भाषा के आधार पर अपनी पसंद के आधार पर अपनी शैक्षिक संस्था को स्थापित करने का अधिकार है.
• अल्पसंख्यकों को शिक्षा का अधिकार है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986-में समानता औऱ सामाजिक न्याय के हित में शैक्षणिक रुप से पिछड़े अल्पसंख्यकों की शिक्षा पर विशेष बात कही गयी है. 1992 में इसमें दो नई योजनाएं जोड़ दी गई है. जिसमें शैक्षिक रुप से पिछड़े अल्पसंख्यकों के लिए गहन क्षेत्रीय कार्यक्रम और मदरसा शिक्षा आधुनिकीकरण वित्तीय सहायता योजना 1993-94 के दौरान शुरु की गई है.
• राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्था आयोग का गठन 2004 में किया गया है. जिसके तहत अल्पसंख्यक संस्थाएं अनुसूचित विद्यालय से स्वयं को संबद्ध कर सकती हैं. वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय , पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय , असम विश्वविद्यालय, नागालैंड विश्वविद्यालय और मिजोरम विश्विविद्यालय इस सूची में आते हैं.
• शैक्षिक रुप से पिछड़े अल्पसंख्यकों के लिए एरिया इंटेनसिव प्रोग्राम है. इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य उन भागों में जहां शिक्षा में पिछड़े हुए अल्पसंख्यक भारी संख्या में रहते हैं, वहां शिक्षा के लिए सुविधा मुहैया कराना है.
• मदरसा शिक्षा को माडर्न बनाने के लिए वित्तीय सहायता पहुंचाना है. इसके अलावा फारसी और अरबी भाषा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं को वित्तीय सहायता देना भी है.