क्या है असली मर्जापुर की कहानी, इन अपराधियों की बोलती थी तूती
Mirzapur 3: मिर्जापुर 3, 5 जून को रीलीज होने जा रही है. इस बीच चलिए आज हम आपको मिर्जापुर के असल गैंगस्टर्स के बारे में बताते हैं.
Mirzapur of real life: मिर्जापुर वेब सीरीज का तीसरा सीजन (Mirzapur 3) रीलीज होने जा रहा है. इस पूरी सीरीज में उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर में क्राइम और गैंगस्टर्स की कहानी दिखाई गई है, लेकिन आज हम आपको असली मिर्जापुर यानी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के डॉन की असल कहानी बताएंगे. जिनके नाम का सिक्का बहुत लंबे समय तक चला. यहां के कई बाहुबली ऐसे थे जिनसे पुलिस भी परेशान थी. वेब सीरीज की तरह यहां भी गद्दी की लड़ाई थी.
फूलन देवी ने जीता चुनाव
गद्दी की सियासत की जंग मिर्जापुर में 1996 में शुरू हुई. बैंडेड क्वीन के नाम से मशहूर फूलन देवी को मिर्जापुर जिले से समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया था. चुनाव में हली बार वो जिले से सांसद बनकर लोकसभा पहुंची थीं. उस चुनाव में ठाकुर समाज उनका जमकर विरोध कर रहा था, जिसके पीछे की वजह फूलन के द्वारा ठाकुरों की हत्या किया जाना था. हालांकि जब फूलन मिर्जापुर में प्रचार के लिए जाती थीं तो वहां जनता का हुजूम पहुंच जाता था, जो उनकी गाड़ियों के पीछे तक भागता था.
जब बाल कुमार पटेल ने संभाली कमान
जब डकैत से सांसद बनी फुलन देवी की हत्या कर दी गई तो मिर्जापुर कुछ समय के लिए शांत हो गया. हालांकि उस समय भी अंदर ही अंदर गद्दी की सियासत जारी थी. कई वर्षों तक पर्दे के पीछे से डकैत ददु
आ के भाई बाल कुमार पटेल सियासत कर रहे थे. इसी बीच 2009 में फिर मिर्जापुर की हवा बदली और बाल कुमार पटेल को समाजवादी पार्टी से चुनावी टिकट मिल गया. बाल कुमार पर उस समय कई मुकदमे दर्ज थे. इसके बावजूद वो मिर्जापुर से चुनाव जीतकर सांसद बन गए. इसके बाद 2014 तक जिले में बाल कुमार पटेल ने राज किया.
जब भिड़े दो बाहुबली
2014 में डकैतों और माफिया का लोकसभा जाने का रास्ता बंद हो गया था. हालांकि उस समय केंद्र में भले ही बीजेपी की सरकार थी लेकिन राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी. 2016 में मिर्जापुर और सोनभद्र एमएलसी सीट पर बसपा के कद्दावर नेता व बाहुबली विनीत सिंह के भाई त्रिभुवन नारायण सिंह तो वहीं दूसरी ओर बाहुबली विजय मिश्रा की पत्नी रामलली चुनाव मैदान में उतरीं. इस चुनाव में बाहुबली विनीत सिंह ने कई बार विजय मिश्र पर एके 47 लेकर प्रचार करने गोली चलवाने और अपरहण करने के आरोप भी लगाए, लेकिन आखिरी में इस चुनाव में रामलली ने त्रिभुवन नारायण सिंह को मात दे दी, जिसके बाद मिर्जापुर में विजय मिश्र का नाम चलने लगा.
2022 में जीते विनीत सिंह
2017 में बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद उत्तर प्रदेश के बाहुबलियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की. इसकी वजह है बाहुबली विजय मिश्र की नींव पर भी काफी असर पड़ा. हालांकि बीजेपी के सरकार में आने के बाद 2022 में एमएलसी का चुनाव हुआ. जिसमें आखिरी समय तक चली कशमकश के बाद बीजेपी ने बाहुबली विनीत सिंह को उम्मीदवार बना दिया. जबविनीतसिंहमैदानमें
उतरे तो समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ने आखिरी समय में अपना पर्चा वापस ले लिया. लिहाजा विनीत सिंह को निर्विरोध चुन लिया गया.
मिर्जापुर जिले से भले ही कोी बाहुबली नहीं हुआ, लेकिन बाहुबलियों को ये जिला खूब रास आया. अतीक अहमद से लेकर मुख्तार अंसाी और बृजेश सिंह भी कई बार यहां पनाह ले चुके हैं.
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