दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर सुरक्षा चाकचौबंध है. दिल्ली में आने वाले तमाम राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा के लिए कमांडो से लेकर खुफिया एजेंसियों को भी लगाया गया है. अब इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने के-9 स्क्वाड को भी देश की राजधानी दिल्ली में बुला लिया है. इसे किसी भी फौजी दस्ते की तीसरी आंख कहा जाता है. इस दस्ते में ट्रेंड डॉग्स को रखा जाता है, जो किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ये के-9 स्क्वाड टीम.


क्या है K-9 स्क्वाड टीम?


K-9 स्क्वाड डॉग्स की एक स्पेशल टीम होती है, जिसमें ट्रेंड डॉग्स होते हैं. ये किसी फौजी से कम नहीं होते. दिल्ली में इन्हीं की तैनाती की गई है. इनके सूंघने की क्षमता इतनी ज्यादा होती है कि ये सूंघ कर तुरंत किसी भी छिपे हुए विस्फोटक पदार्थ का पता लगा सकते हैं. ज्यादातर फोर्सेस के पास ये के-9 टीम होती है, चाहे वो सीआरपीएफ हो, दिल्ली पुलिस हो या फिर आर्मी. सबके पास अपनी अपनी के-9 टीम होती है. ये सभी डॉग्स बेल्जियन मालीनोइस नस्ल के होते हैं.


कितने खास होते हैं मालीनोइस नस्ल के कुत्ते


मालीनोइस नस्ल के डॉग्स आम कुत्तों से काफी अलग होते हैं. इन्हें दुनियाभर के स्पेशल फोर्स में शामिल किया जाता है. मालीनोइस नस्ल के इन कुत्तों का सिर आम कुत्तों के मुकाबले बड़ा होता है, वहीं इनकी नाक भी काफी चौड़ी होती है. ये कुत्ते इसी नाक की बदौलत तमाम तरह के विस्फोटकों और आईईडी की गंध पहचान कर उन्हें खोज निकालते हैं. इनका ज्यादातर इस्तेमाल एयरपोर्ट्स पर और रेस्क्यू ऑपरेशन्स में होता है. इसके साथ ही इनका इस्तेमाल युद्ध की स्थिति में भी होता है. हालांकि, दिल्ली में ये डॉग्स बड़े बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा में लगेंगे.


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