जब आप चांद को पृथ्वी से देखते हैं तो वो सफेद रंग का दिखाई देता है. इससे तो ये ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि चांद की जमीन सफेद रंग की है और रात में भी ये चमकता हुआ सफेद गोले का जैसा दिखाई देता है. लेकिन, हकीकत कुछ और है. चांद की जमीन का रंग सफेद नहीं है. इसके साथ ही इस मिट्टी की खास बात ये है कि अगर कोई इस जमीन पर पांव रख दे तो हमेशा वो फूटप्रिंट रह जाता है. जैसे अगर चंद्रयान का रोवर प्रज्ञान चांद की मिट्टी पर घूमेगा तो उसके मार्क हमेशा के लिए वहां ही बने रहेंगे. 


तो जानते हैं कि आखिर क्यों मिट्टी पर ये मार्क बने रहते हैं और मिट्टी का रंग असल में है क्या? चांद की मिट्टी और रंग के अलावा भी कई ऐसे फैक्ट हैं, जो इसे पृथ्वी की मिट्टी से काफी अलग बनाते हैं. तो जानते हैं कि चांद की मिट्टी से जुड़ी कुछ खास बातें....


क्या है चांद की मिट्टी का रंग?


चांद की मिट्टी भले ही सफेद कलर की दिखाई दे, लेकिन चांद की मिट्टी का रंग सफेद नहीं है. ये डार्क ग्रे कलर का है और इसका रंग वाइट, ब्लैक और थोड़ा बहुत ऑरेंज का मिक्स है. बताया जाता है कि यहां की भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से ऐसा है. चांद पर मिट्टी की जगह कुछ चूर्ण जैसा पदार्थ है और वो वहां की जमीन को ढकता है और उसे लूनर रेजोलिथ कहते हैं. वहीं, चांद सिर्फ सूर्य की रोशनी की वजह से चमकता है और ऐसा नहीं है कि इसकी मिट्टी में चमकने जैसा कुछ हो.


क्यों नहीं हटते मार्क?


हमने आपको बताया कि चांद पर जो मार्क बनते हैं, वो हमेशा बने रहते हैं. तो जानते हैं कि वो ऐसा क्यों है... चांद पर हवा या पानी नहीं है, जिस वजह से यहां कुछ बदलाव नहीं होता है. साथ ही यहां कोई वायुमंडल नहीं है, जो भी वहां है, वो जमा हुआ है. पानी, हवा की गतिविधि ना होने के साथ ही यहां कोई ज्वालामुखी गतिविधि नहीं है. कुछ भी बहता नहीं है और सबकुछ ऐसा रहता है. ये है कारण है कि चांद पर जब पहली बार किसी ने पांव रखा था वो फूटमार्क हमेशा वहां बना रहेगा. 


चंद्रमा पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के पैर के निशान लाखों सालों तक वैसे ही रहेंगे. कई रिपोर्ट्स का तो ये भी दावा है कि चांद के अस्तित्व तक ये मार्क हमेशा बने रहेंगे. तो चांद का सरफेस पृथ्वी से अलग है और यहां भी गड्ढे और पहाड़ दिख जाते हैं.


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